Hirakund bandh ke bare me Jankari: महानदी पर बना हीराकुंड बांध दुनिया का सबसे लंबा बांध के रूप में जाना जाता है जो ओडिशा के राज्य संबलपुर शहर में स्तिथ है। बांध की लंबाई लगभग 16 किलोमीटर है और महानदी पर निर्मित ऐतिहासिक बांध है। हीराकुंड बांध एक प्रमुख जलाशय होने के अलावा यह खूबसूरत बांध ओडिशा में एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण भी है और अपनी शानदार परिवेश के लिए जाना जाता है। बर्ष 1956 बने इस बांध की सुंदरता न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। यह एक स्वतंत्र भारत द्वारा शुरू की गई पहली प्रारंभिक परियोजनाओं में से एक थी। देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 12 अप्रैल 1948 को बांध का पहला कंक्रीट का टुकड़ा रखा था।
संबलपुर शहर से सिर्फ 15 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ हीराकुंड बांध एशिया में सबसे लंबा बंधा है। यह जलाशय 640 किलोमीटर की तटरेखा के साथ एशिया की सबसे बड़ी कृतिम झील बनता है जो देश भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। बांध और उसके आसपास के पानी का विशाल विस्तार एक सुंदर नजारा प्रस्तुत करता है। इस इंजीनियरिंग के चमत्कार को देखने के लिए हजारों पर्यटक इस स्थान का दौरा करते हैं। मानसून के दौरान इस जगह की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहाँ दो अवलोकन टावर भी हैं जिसे गाँधी मीनार और नेहरू मीनार के नाम से जाना जाता है। इन टावरों से आसपास का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
आप सभी को नमस्कार, उम्मीद है आप सभी अच्छे होंगे। हीराकुंड बांध जो दुनिया की सबसे बड़ा बांध है और महानदी पर बना विश्व प्रसिद्ध प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह दुनिया का सबसे लंबा बांध है यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी है। हीराकुंड बांध खोए हुए मंदिर के लिए भी जाना जाता है जो बांध के पूरा होने के बाद जलमग्न हो गए हैं। आज हीराकुंड बांध अपनी अद्भुत सरंचना और अपनी शानदार इतहास के कारण एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और देश और दुनिया की विभिन्न हिस्सों से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। अगर आप भी इस शनदार सरंचना के बारे अधिक जानना चाहते है तो mapofholiday की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े। उम्मीद है mapofholiday की इस लेख को आप सभी भरपूर Like और Share करेंगे।
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हीराकुंड बांध का इतिहास – History of Hirakund Bandh in Hindi
हीराकुंड बांध भारत की आजादी के बाद शुरू की गई पहली प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। एशिया के सबसे बड़े बांधों में से एक हीराकुंड बांध की निर्माण का इतिहास वास्तव में दिलचस्प और महत्वपूर्ण है। महानदी में विनाशकारी बाढ़ की चुनैतियों से निपटने के लिए एम. विश्वेश्वरय्या द्वारा बांध के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था। 1945 में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में, बहुउद्देश्यीय उपयोग के लिए महानदी को नियंत्रित करने के संभावित लाभों में निवेश करने का निर्णय लिया गया। 15 मार्च 1946 को तत्कालीन उड़ीसा के गवर्नर सर हॉथोर्न लुईस ने हीराकुंड बांध की आधारशिला रखी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 12 अप्रैल 1948 को कंक्रीट का पहला टुकड़ा रखा। बांध 1953 में बनकर तैयार हुआ और कृषि सिंचाई के साथ बिजली उत्पादन 1956 में शुरू हुआ। हालांकि निर्माण 1953 तक पूरा हो गया था लेकिन उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।
हीराकुंड बांध की वास्तुकला – Architecture of Hirakund Dam in Hindi
ओडिशा राज्य के संबलपुर में स्तिथ हीराकुंड बांध मिट्टी, कंक्रीट और चिनाई की एक मिश्रित विशाल सरांचा है। यह भारत का सबसे लंबा प्रमुख मिट्टी का बांध है जो दो पहाड़ियों के बिच फैली हुई है। 1,33,090 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बांध श्रीलंका के क्षेत्रफल के दोगुने से भी अधिक है। मुख्य हीराकुंड बांध की कुल लंबाई 4.8 किमी है जो बाईं ओर लक्ष्मीडुंगरी पहाड़ियों और दाईं ओर चांडीली डूंगुरी पहाड़ियों तक फैला है। बांध बनाने के लिए मिट्टी, कंक्रीट और चिनाई सामग्री का उपयोग किया गया है। यहां से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बांध कितना विशाल है। बांध का प्राथमिक उद्देश्य जलाशय का निर्माण करके और जल निकासी व्यवस्था के माध्यम से नदी के प्रवाह को नियंत्रित करके समस्याओं से छुटकारा पाना था।
हीराकुंड बांध के बारे महत्वपूर्ण तथ्य – Important Fact about Hirakund Bandh
- हीराकुंड बांध परियोजना भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह स्वतंत्र भारत की पहली नदी घाटी परियोजना के रूप में जाना जाता है।
- हीराकुंड बांध दुनिया की सबसे लंबा बांध है जो लगभग 26 किलोमीटर तक फैला है।
- माना जाता है की हीराकुंड बांध का निर्माण कार्य 1953 तक पूरा हो गया था लेकिन बांध का उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।
- बांध में 8 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए पर्याप्त मिट्टी और कंक्रीट का उपयोग है जो दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में कश्मीर और अमृतसर से असम तक की दूरी को कवर कर सकती है।
- हीराकुंड बांध कई जलविद्युत संयंत्रों के माध्यम से बिजली पैदा करता है और दो प्रमुख बिजली संयंत्र बुर्ला और चिपिलिमा हैं। यह बांध 307.5MW बिजली पैदा करता है।
- हीराकुंड डैम में 75,000 वर्ग मीटर का नाला है और इसमें बाढ़ के पानी को छोड़ने के लिए 98 फ्लड गेट, 64 स्लाइडिंग गेट और 34 क्रेस्ट गेट हैं जो इसे वास्तव में दुनिया का सबसे लंबा बांध बनाता है।
- ऐसा माना जाता है की हीराकुंड बांध का निर्माण के दौरान 200 से अधिक मंदिर नष्ट हो गए थे, जिनमे 150 पूरी तरह से नष्ट हो गए, जबकि 50 मंदिरों को आज भी देखा जा सकता है।
कैटल आइलैंड – Cattle Island
हीराकुंड बंद के आसपास स्तिथ कैटल आइलैंड एक खूबसूरत प्राकृतिक स्थान है जो जंगली जानवरों का घर है। यह आइलैंड अब एक जलमग्न पहाड़ी है जहाँ जानवरों के अलावा कोई भी नहीं रहता है। लेकिन बांध के निर्माण से पहले एक विकसित गांव था। कहा जाता है की जब बांध का निर्माण पूरा हुआ तो आसपास के गांव के लोगों को तुरंत खाली करने के लिए कहा गया। जब लोग स्थानांतरित हो रहे थे तो गावं के लोगों ने पालतू जानवरों को पीछे छोड़ दिया और सभी जानवरों यहाँ पर बस गए। जब जलाशय से पानी छोड़ा गया, तो पास का इलाका पानी से भर गया और पहाड़ी की चोटी को एक द्वीप में बदल दिया। आज यह द्वीप एक खूबसूरत जगह है जिनमे जंगली मवेशी रहते हैं। यहाँ सर्दियों के मौसम दौरान कई प्रवासी पक्षिओं को देखा जा सकता है।
हीराकुंड बांध में खोये हुए मंदिर – Lost Temple of Hirakund Dam in Hindi
ऐसा माना जाता है की हीराकुंड बांध के निर्माण बाद कई मंदिरों पूरी तरह से नष्ट हो गया था जो 1957 में बांध के पूरा होने के बाद जलमग्न हो गए थे। बांध के निर्माण के दौरान 200 से अधिक मंदिर खो गए थे और 150 से अधिक मंदिर पहले ही नष्ट हो चुके हैं, जबकि उनमें से 50 मंदिरों को आज भी देखा जा सकता है। गर्मियों के दौरान बांध का जल स्तर कम हो जाता है जिसे इन मंदिरों के अवशेष को देखा जा सकता है। हालाँकि इन मंदिरों के ऐतिहासिक महत्व को जानने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन उनमें से अधिकांश अब नष्ट हो चुके हैं।
हीराकुंड बांध के आसपास घूमने के लिए खूबसूरत जगह – Place to Visit Around Hirakund Bandh in Hindi
समलेश्वरी मंदिर – Samaleswari Temple
ओडिशा के शहर संबलपुर में स्तिथ समलेश्वरी मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जो देवी समलेश्वरी को समर्पित है। ओडिशा की राजधानी भुबनेश्वर से लगभग 280 किलोमीटर और हीराकुंड बांध से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ यह मंदिर ओडिशा में सबसे अधिक देखे जाने वाली जगहों में से एक है। समलेश्वरी संबलपुर के पीठासीन देवता हैं जो माँ समलई के नाम से जाने जाते हैं। महानदी के बाएं तट के आसपास स्तिथ यह मंदिर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के पश्चिमी हिस्सों में एक शक्तिशाली आध्यात्मिक शक्ति हैं। मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी के आसपास किया गया था जो आज ओडिशा में एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है।
हुमा मंदिर – Huma Temple
महानदी के तट पर स्तिथ हुमा मंदिर ओडिशा के एक प्रमुख धार्मिक जगह है जो संबलपुर शहर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है। यह दुनिया के झुकाव वाले मंदिरों में से एक है, जो हुमा के एक छोटे से गांव में स्थित है। यह झुका हुआ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह लोकप्रिय रूप से हुमा के झुके हुए मंदिर के रूप में जाना जाता है और एक तरफ झुका होता है। महाशिवरात्रि उत्सब के दौरान यहाँ दूर दूर से भक्तों आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह मंदिर संबलपुर में एक पवित्र और लोकप्रिय मंदिर है।
घंटेश्वरी मदिर – Ghanteswari Temple
घंटेश्वरी मंदिर संबलपुर में स्तिथ सबसे खूबसूरत और पवित्र जगहों में से एक है जो महानदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर देवी घंटेश्वरी को समर्पित है। मंदिर का नाम मंदिर परिसर में लटकी हुई घंटियों की के कारण पड़ा है जो मंदिर में सुशोभित है। यहाँ प्रतिदिन सेकड़ों श्रदालु दर्शन के लिए आते हैं और अपने मनोकामना पूर्ण होने पर घंटी चढ़ाते हैं। यहाँ विभिन्न आकर की घाटियां लटकी हुई है जिनके आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है।
बुद्धराजा मंदिर – Budharaja Temple
बुद्धराजा मंदिर संबलपुर में स्तिथ एक प्रतिष्ठित मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर एक पहाड़ पर स्तिथ है जिसे बुधराजा पहाड़ी कहा जाता है। मंदिर तक पहंचने के लिए 108 सीढ़ियों की लंबी चढ़ाई के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं से 17वीं के बिच संबलपुर के चौहान राजवंश के शासन काल के दौरान किया गया था। आज यह संबलपुर में एक लोकप्रिय मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। साथ ही महाशिवरात्रि उत्सव के दौरान यह मंदिर हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
हीराकुंड बांध घूमने के लिए सही समय – Best Time to Visit Hirakud dam in Hindi
हीराकुंड बांध घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मार्च तक का है क्योंकि इन महीनों के दौरान मौसम ज्यादातर खुशनुमा रहता है जो घूमने के लिए एक आदर्श समय है। गर्मियों के दौरान संबलपुर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाती है जिसे यहाँ भीषण गर्मी होती है। मानसून के दौरान यहाँ भरी बारिस होती है जो घूमने के लिए विल्कुल आदर्श समय नहीं है।
हीराकुंड बांध कैसे पहंचे – How to Reach Hirakund Bandh in Hindi
वायु मार्ग – By Air : निकटतम हवाई अड्डा बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भुबनेश्वर में और स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रायपुर में स्तिथ है। बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हीराकुंड बांध से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ, जबकि स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई हीराकुंड बांध से लगभग 265 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है। बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से संबलपुर के लिए नियमित बसें उपलब्ध है। इसके अलावा भुबनेश्वर रैलवे स्टेशन से संबलपुर के लिए ट्रैन भी चलती है।
रेल मार्ग – By Train : संबलपुर भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। संबलपुर के लिए देश के सभी महत्वपूर्ण शहरों से सीधी ट्रैन उपलब्ध है।
सड़क मार्ग – By Road : संबलपुर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भुबनेश्वर से संबलपुर के लिए सीधी बसें उपलब्ध है।
FAQs
Q: – हीराकुंड बांध कहाँ है – Hirakund Bandh Kaha Hai
A: – हीराकुंड बांध ओडिशा राज्य के संबलपुर जिले में स्तिथ है।
Q: – हीराकुंड बांध किस नदी पर बनाया गया है – Hirakund Bandh kis Nadi par Banaya Gaya Hai
A: – हीराकुंड बांध महानदी पर बनाया गया है।
Q: – हीराकुंड बांध का निर्माण कब हुआ – Hirakund Bandh ka Nirman Kab Hua
A: – हीराकुंड बांध का निर्माण 13 जनवरी 1957 में हुआ था।
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