Historical Places in India in Hindi /Bharat ke Aitihasik Sthal : भारत एक अति प्राचीन देश है ओर इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को उचाई तक ले जाने का क्षेय देश की पारंपरिक ,ऐतिहासिक और शानदार विरासत को जाता है। भारत देश में कई खूबसूरत मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वार ओर किले का निर्माण कारीगर ने अपने चमत्कार शिल्प कौशल का परिचय दे कर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
भारत एक ऐसा देश है जहां आपको विभिन्न तरह के लोग अपने कला संस्कृति, रीति रिवाज के साथ देखने को मिलेगा। भारत इतिहास के रोचक कहानियों से भर पुर है। यह सब प्राचीन ऐतिहासिक स्थल ओर साम्राज्य का निर्माण राजा और महाराजों ने भारत में लंबे समय तक राज करने के बीच निर्माण करवाया था। आज भारत कई ऐतिहासिक स्थलों से भरा हुआ है जो आपको इसके शानदार अतीत और गौरवशाली शासन की याद दिलाती है।
आप सभी को मेरे नमस्कार है, में उम्मीद करती हूं आप सभी अच्छे होंगे और स्वस्थ होंगे। भारत का समृद्ध और जीवंत इतिहास प्राचीन किलों, भव्य महलों, शाही सरंचनाओं और ऐतिहासक स्मारकों से भरी हुई है। यह देश न केवल हमारी शानदार विरासत को दर्शाती है वल्कि शानदार शिल्प कौशल का भी प्रतिनिधित्व करता है। आज इस लेख के जरिए हम आपको (Historical Places in India in Hindi) भारत के कई प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। इसलिए आप सभी को निवेदन है की आप इस लेख को शुरू से अंत तक जरूर पढ़े।
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भारत के ऐतिहासिक स्थल ताजमहल आगरा – Bharat ke Aitihasik Sthal Taj Mahal Agra
ताजमहल भारत का एक खूबसूरत और शानदार ऐतिहासिक स्थल है जो आगरा शहर मैं यमुना नदी के दक्षिण तट पर स्थित है। ताजमहल का अर्थ “महल का ताज” है ओर एक सफेद संगमरमर का मकबरा है। यह महल को मुगल सम्राट शाहजहां ने उनकी पसंदीता पत्नी मुमताज की मौत के बाद उनको हमेशा याद रखने के लिए यह महल बनवाया था ओर शाहजहां यह महल को बनाने के लिए सबसे बेहतरीन 20 हजार कारीगर ओर बेहतरीन चीजो का इस्तेमाल किये थे, महल का निर्माण 1631 मैं शुरू हुआ और 1648 मैं खत्म हुआ, इसको बनाने में पूरे 17 साल लगा। यह महल 42 एकड़ के क्षेत्र पर फैला हुआ है जिसमे एक गेस्ट हाउस ओर मस्जिद भी शामिल है। ताजमहल के चारों तरफ प्राकृतिक उद्यान से भरा हुआ है ओर ताजमहल को देखने के लिए पूरे साल भर पर्यटकों का भीड़ रहता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीयों नागरिक के लिए 40 रुपए , प्रति विदेशी नागरिक के लिए 1000 रुपए ओर 15 वर्ष से काम उम्र बच्चों के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 6:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है ओर शुक्रवार को बंद रहता है।
ताजमहल कैसे पहुंचे – How To Reach Taj Mahal in Hindi
वायु मार्ग – By Air: नजदीकी हवाई अड्डा खेरिया हवाई अड्डा हैं जो आगरा शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है। ताज महल पहंचने के लिए आप टैक्सी का सहारा ले सकते हैं। यह हवाई अड्डा दिल्ली, वाराणसी और खजुराहो से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग – By Rail : ताजमहल से 3 किलोमीटर दूरि पर आगरा का किला रेलवे स्टेशन है। आप दिल्ली ,वारणसी , जयपुर ओर हरिद्वार से ट्रैन द्वारा आराम से आगरा किला रेलवे स्टेशन पोहंच कर बस या कैब से ताजमहल तक पोहंच सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road: आगरा दिल्ली से लगभग 204 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है। आप दिल्ली से ताजमहल तक सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। आगरा के कुछ प्रमुख बस स्टैंड है जो देश के कई अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ता है।
भारत का ऐतिहासिक जगह लाल किला, दिल्ली – Historical Places in India in Hindi Red Fort Delhi
लाल किला भारत का एक खूबसूरत ऐतिहासिक किला है ओर यह दिल्ली के केंद्र में स्थित है। यह किला शाहजहाँ के शासनकाल के समय 17 वीं शताब्दि मैं निर्मित किया गया था ओर इस किले पर वर्ष 1856 तक लगभग 200 वर्षों तक मुगल वंश के सम्राटों का शासन था। लाल किला यमुना नदी के किनारे पूरा महल को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। यह महल खास करके सभा के लिए स्थापित किया गया था ओर बादशाहों ओर उनके घर के अलावा मुगल राज्य का राजनीतिक केंद्र था। इसका मुख्य द्वार लाहोरी गेट है और हर साल प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा रोहण करते हैं। बाहार देश से आने वाले पर्यटकों को यह किला बोहत आकर्षित करता है। हर दिन लाल किला में शाम 6 बजे को लाइट ओर साउंड शो कि आयोजित किया जाता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतिय नागरिक के लिए 35 रुपए ओर प्रति विदेशी नागरिक के लिए 500 रुपए लगता है और लाइट ओर साउंड शो का शुल्क प्रति वयस्को के लिए 60 रुपए ओर प्रति बच्चों के लिए 20 रुपए शुल्क है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है ओर सोमवार को बंद रहता है।
लाल किला कैसे पहुंचे – How To Reach Red Fort in Hindi
वायु मार्ग – By Air : नई दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा 20 किलोमीटर दूर है। इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के सभी शहरों से आसानी से जुड़ा हुआ है। यहाँ तक आप पोहंच कर बस ,कैब या मेट्रो का साहारा ले कर लाल किला पोहंच सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : आप अपना शहर का रेलवे स्टेशन से दिल्ली पोहंच कर ,बस या कैब का साहारा ले कर लाल किला तक पोहंच सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : दिल्ली देश की राजधानी होने के कारण सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करने के लिए भारत के लगभग हर शहर से अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है।
भारत का ऐतिहासिक जगह कुतुब मीनार – Historical Places in India in Hindi Qutub Minar
भारत में दिल्ली शहर के दक्षिण इलाके में महरौली में स्थित खूबसूरत और पर्यटकों को आकर्षित करने वाला ऐतिहासिक स्थल कुतुब मीनार है। यह भारत और विश्व की सबसे ऊची मीनार है जो कि 72.5 मीटर कि उचाई है ओर यह मीनार पूरा लाल बलुआ पत्थर और मार्बल से बना हुआ है। मीनार के अंदर गोल सीढ़िया है ओर लगभग 379 सीढ़िया है, इस सीढ़ी मैं चढ़कर निच्चे से पूरा ऊपर तक जाने के लिए 30 से 40 मिनट लगता है। यह विशाल भवन हिंदू-मुगल इतिहास का बोहत खास हिस्सा है।मोहाली की फतह बुर्ज के बाद भारत की सबसे बड़ी कुतुब मीनार का नाम आता है।
इसका निर्माण कुतुब उद-दीन- ऐबक 1192 में अंतिम हिंदू शासक को हराने के बाद शुरु किया था। कुतुब मीनार कॉम्प्लेक्स 24,000 वर्ग मीटर मैं फैला हुआ है। पहले नजर मैं आप कुतुब मीनार को देखेंगे तो आपको यह एक इस्लामिक स्ट्रक्चर जैसे दिखाई देगा। कुतुब मीनार के सामने आपको आकर्षण करने वाला देवी देवताओं ओर हिंदू धर्म के काला कुर्तिया देखने को मिलेगा। यह दुनिया का ऐसा मीनार है जहाँ पर आप आपके परिवार या बच्चों के साथ जाएंगे तो आपको राजा महाराजों का कहानियां मिलेगी ओर कुतुब मीनार देख कर बच्चों को सिक्ष्या भी मिल सकती है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतिय नागरिक के लिए 10 रुपए ओर प्रति विदेशी नागरिक के लिए 250 रुपए शुल्क है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
कुतुब मीनार कैसे पहुंचे – How To Reach Qutub Minar in Hindi
कुतुब मीनार जाने के लिए आपको बोहत आसानी से निकटतम मेट्रो से आप जा सकते हैं। महरौली जाने के लिए आपको कुतुब मीनार को पार करते हुए बस मिल जाएगी। आपको मेट्रो या बस जो पसंद है तो आप उसमें जा सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक स्थल कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा – Historical Places in India in Hindi Konark Sun Temple Odisha
कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा का एक खूबसूरत ऐतिहासिक और आश्चर्यचकित करने वाला स्थल है। कोणार्क दो शब्दो से बना हुआ है एक कोण ओर दूसरा अर्क, इसका अर्थ कोण अर्थ कोना (Corner) ओर अर्क अर्थ सूर्य (Sun) ओर यह दो शब्दो को मिलाकर सूर्य का कोना (Sun of the corner) मतलब कोणार्क काहा जाता है। यह मंदिर को अलग नाम से ब्लैक पैगोडा भी काहा जाता है इसलिए मंदिर का ऊचा टॉवर काला दिखायी देता है।
भारत के ओडिशा के तट पूरी से कोणार्क सूर्य मंदिर लगभग 35 किलोमीटर कि दूर उत्तर -पूर्व मैं स्थित है। यहां सुर्य देवता जो हिंदू धर्म से सम्बंधित देवता का एक विशाल मंदिर है। यह मंदिर का निर्माण राजा नरसिंह देव ने 13 वीं शताब्दि मैं करवाया था ओर इस मंदिर को विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए पुरे विश्व मैं जाना जाता है।
यह मंदिर पूरा रथ के आकार बना हुआ है ओर इसको देखने के लिए विदेशी लोग भी मजबूर हो कर आते हैं। सुर्य मंदिर का एक एक पत्थर में छोटा छोटा बोहत खूबसूरत मुर्तिया खोदित किया गया है जसको देख कर आप चकित हो जायेंगे। यह मंदिर में सूर्य देव की 3 मूर्तियां है जिनमे उनकी वाल्य अवस्ता ,युवा अवस्ता ओर प्रौढ़ अवस्ता है और मंदिर की दीवारों पर अनेक जानवरों का चित्र खोदित किया गया है। यह ओडिशा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है यहां पूरे साल भर पर्यटकों का भीड़ जमा रहता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीयों नागरिक के लिए 10 रुपए ओर प्रति विदेशी नागरिक के लिए 250 रुपए शुल्क है।
प्रवेश समय – Entry Time : सिर्फ शुक्रवार को छोड़ कर हर दिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है ।
और पढ़े : कोणार्क सूर्य मन्दिर की संपूर्ण जानकारी
कोणार्क कैसे पहुंचे – How To Reach Konark
वायु मार्ग – By Air : बीजू पटनायक हवाई अड्डा से कोणार्क लगभग 65 किलोमीटर दूर है । भुबनेश्वर के लिए नई दिल्ली ,चेन्नई ,विशाखापटनम ,मुंबई और कोलकाता जैसे सभी शहरों से भुबनेश्वर के लिए वायु सेवाएं उपलब्ध है। एयर इंडिया ,इंडिगो जैसी सभी प्रमुख घरेलू एयरलाइनों से भुबनेश्वर के लिए हर दिन उड़ान है। आप भुबनेश्वर एयरपोट तक पोहंच कर बस या कैब द्वारा कोणार्क मंदिर जा सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : कोणार्क का निकटतम रेलवे स्टेशन पूरी ओर भुबनेश्वर रेलवे स्टेशन है। भुबनेश्वर के लिए भारत के सभी शहरों के रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन हर दिन उपलब्ध है इसलिए आप भुबनेश्वर रेलवे स्टेशन पोहंच कर उहां से बस या कैब से कोणार्क मंदिर पोहंच सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : कोणार्क के लिए हर दिन बस चलता है। पास के शहरों से निजि या सरकारी बस से कोणार्क मंदिर पोहंच सकते है।
भारत के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हवा महल जयपुर – Bharat ke Aitihasik Paryatan Sthal Hawa Mahal Jaipur
Historical Places in India in Hindi: भारत का सबसे शानदार ओर जयपुर के गुलाबी शहर बाड़ी चौपड़ पर हवा महल स्थित है ।हवा नाम का मतलब है जो हवाओं की एक जगाहं है यथा यह एक ऐसा जगाहं है किसी भी मोसूम मैं महल के अंदर ठंडी हवा चलते रहता है।
इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई सिंह द्वारा लाल बलुआ पत्थर से निर्माण किया गया था ओर महल के अंदर 953 छोटी खिड़कियां है, जिसमे ठंडी ओर ताजी हवा आती रहती है। हवा महल को बाहार से देखने से मधुमखी छते के जैसे दिखता है। महाराजा सवाई सिंह ने हवा महल को हिंदू धर्म के श्री कृष्ण की राज मुकुट जैसे बनाए है।
हवा महल मैं 5 मंजिला है लेकिन ऊपर की मंजिल को जाने के लिए एक भी सीढिया नहीं है ओर इसको राजपूत वास्तुकला का प्रतिक माना जाता है कियूंकि रातपुत कि रानियां ओर राजकुमारियां इन खिड़की मैं बैठकर विषेश यात्रा पर निकले वाला जुलूस ओर सेहेर आदि को देख सके। कियूंकि राजपूत समय में यह था कि उनके घर के कोई लड़की और पत्नी बाहार ना निकले जिसके कारण यह महल बना। हवा महल कि खासियत यह है कि दुनिया में किसी भी नीव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है।यह महल पर्यटकों को बोहत आकर्षित करता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 10 रुपए ओर प्रति विदेशी नागरिक के लिए 50 रुपए शुल्क है ।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है।
और पढ़े : जयपुर में घूमने की जगह के बारे में जानकारी
हवा महल कैसे पहुंचे – How To Reach Hawa Mahal
वायु मार्ग – By Air : आप फ्लाइट से जयपुर जाने का योजना कर रहे हैं तो मुंबई ,दिल्ली ,उदयपुर ,कोलकाता और अन्य शहरों से जयपुर के लिए फ्लाइट उपलब्ध है।एयरपोट से हवाई महल जाने के लिए आपको मात्र 30 मिनट लगेगा तो आप जयपुर हवाई अड्डा पोहंच कर आराम से बस या टैक्सी से हवा महल का यात्रा सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : हर बड़े और प्रमुख शहरों से आपको जयपुर के लिए ट्रेन मिल जाएगी तो आप आराम से जयपुर पोहंच कर उहाँ से बस या टैक्सी से हवा महल का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : अगर आप सड़क मार्ग से हवा महल का यात्रा करने का सोच रहे हैं तो जयपुर शहर के लिए सभी प्रमुख हिस्सों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भारत के कई कई प्रमुख शहरों से जयपुर के लिए बस उपलब्ध है।
भारत के ऐतिहासिक जगह स्वर्ण मंदिर अमृतसर – Historical Places in India in Hindi Golden Temple, Amritsar
स्वर्ण मंदिर, एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है केवल भारत में नहीं वल्कि पूरी दुनिया भर मैं मशहूर है। यह स्थान पर्यटकों ओर श्रद्धालु के लिए बोहत आकर्षण स्थल है कियूंकि यह मंदिर एक सुंदर सा सरोवर के बीच में स्थित है। इस मंदिर का खासियत यह है कि मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित किया गया है इसलिए इसका नाम स्वर्ण मंदिर है और सिख धर्म के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
यह मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। सिख धर्म लोगों का यह गुरुद्वार है लेकिन स्वर्ण के साथ मंदिर नाम का शब्द जोड़ा हुआ है इसलिए स्वर्ण मंदिर को भारत मैं हर धर्म लोगों के मंदिर केहते हैं। स्वर्ण मंदिर का स्थापना सिख धर्म का चौथा गुरु राम दास जी ने किए है। हर दिन यहां लाखों संख्या में पर्यटकों ओर श्रद्धालु घुमने आते हैं ओर सरोवर में स्नान करके लोगों के सब दुख दूर होती है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : स्वर्ण मंदिर जाने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन हर समय 24 घंटे खुला रहता है।
स्वर्ण मंदिर कैसे पहुंचे – How To Reach Golden Temple
वायु मार्ग – By Air : अमृतसर हवाई अड्डा का नाम श्री गुरु राम दास जी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो स्वर्ण मंदिर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। यह हवाई अड्डा अन्य प्रमुख शहरों से अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है। आप अमृतसर हवाई अड्डा पहुंच कर उहां से टैक्सी या कैब से स्वर्ण मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : अमृतसर का रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख सभी शहरों जैसे कि चंडीगढ़ ,दिल्ली ,मुंबई ,आगरा ,कोलकाता आदि शहर से अच्छे से जुड़ा हुआ है तो आप अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंच कर उहां से टैक्सी या कैब से स्वर्ण मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : आप दिल्ली ,धर्मशाला ,चंडीगड़ ,शिमला ,जम्मू ओर अन्य राज्य से आप टैक्सी या कार से अमृतसर का यात्रा कर सकते हैं ओर कई कई शहरों से दैनिक रूप में बस भी चलता है।
भारत के ऐतिहासिक जगह गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई – Monuments of India in Hindi Gate Way Of India Mumbai
गेटवे ऑफ इंडिया एक बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थल है जिसका निर्माण 1924 मैं किंग जॉर्ज पंचम ओर क्वीन मैरी की मुंबई यात्रा की संम्मान करने के लिए जॉर्ज विटेट द्वारा गेटवे ऑफ इंडिया बनाया गया था। गेटवे ऑफ इंडिया का उचता 85 फ़ीट है। गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई के ताजमहल के रूप में भी जाना जाता है। इसका सानदार वास्तुकला पर्यटकों को अपने तरफ आकर्षित करता है। गेटवे ऑफ इंडिया के पास स्वामी विवेकानंद ओर छत्रपति शिवाजी की मुर्तिया स्थापित किया गया है ओर यह खूबसूरत गेटवे ऑफ इंडिया समुद्र के पास स्थित है। यह समारक देश के प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक प्रमुख रूप में कार्य करता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : गेटवे ऑफ इंडिया जाने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन सुबह 7:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।
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गेटवे ऑफ इंडिया कैसे पहुंचे – How To Reach Gate Way Of India
वायु मार्ग – By Air : मुंबई का छत्रपति शिवाजी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए भारत के प्रमुख शहरों से फ्लाइट है। छत्रपति शिवाजी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा से गेटवे ऑफ इंडिया लगभग 28 किलोमीटर दूर है। आप मुंबई का हवाई अड्डा पहुंच कर उहाँ से बस या कैब से गेटवे ऑफ इंडिया का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : आप मुंबई का रेलवे स्टेशन तक पहुंच कर उहाँ से बस या कैब से गेटवे ऑफ इंडिया का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : मुंबई का आस-पास शहरों से आसानी से बस या टैक्सी से गेटवे ऑफ इंडिया का यात्रा कर सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक स्थल लोटस टेम्पल ,दिल्ली – Bharat ke Aitihasik Sthal Lotus Temple Delhi
लोटस टेम्पल या कमल मंदिर भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित एक खूबसूरत ओर ऐतिहासिक स्थान है। लोटस टेम्पल दिल्ली का नेहरू नगर में बहापुर गांव में स्थित एक बहाई उपासना मंदिर है , यहां कोई भी मूर्ति नहीं है ना यहां कोई देवी या देवता की पूजा नहीं किया जाता है। भारत के लोगों के लिए कमल के फूल शांति ओर प्रवित्र का सूचक है इसलिए लोग यहां अपने मन को शांति देने के लिए आते हैं।
कमल मंदिर का निर्माण सन् 1986 में किया गया था और इसका निर्माण पूरा कमल फूल के जैसे किया गया है इसलिए इसका नाम लोटस टेम्पल रखा गया है। इसको बनाने मैं पूरे 10 साल लगा। लोटस टेम्पल के परिसर में खूबसूरत हरे भरे पेड़ पौधे ओर रंग वेरंग सरबरो से भरा हुआ है ओर कमल मंदिर 26 एकड़ तक फैला हुआ है।यह एक इतना बड़ा मंदिर है जहां एक साथ लगभग 2400 लोग प्रवेश कर सकते है। हर साल लाखों के संख्या में पर्यटक यहां घुमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : लोटस टेम्पल घुमने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : गर्मियों के मौसम के दौरान सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक ओर सर्दियों के मौसम के दौरान सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।
लोटस टेम्पल कैसे पहुंचे – How To Reach Lotus Temple
वायु मार्ग – By Air : दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा सभी प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है तो आप दिल्ली हवाई अड्डा पहुंच कर टैक्सी या बस से लोटस टेम्पल का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : नई दिल्ली के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली से लोटस टेम्पल 15 किलोमीटर दूर है। आप नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंच कर टैक्सी या बस से लोटस टेम्पल की यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : दिल्ली भारत का राजधानी के कारण सड़क मार्ग में भी जाने के लिए आपको सुविधा मिल जाएगी।
भारत का ऐतिहासिक जगह हुमायु मकबरा दिल्ली – Monuments of India in Hindi Humayun’s Tomb Delhi
भारत का हुमायु मकबरा एक महत्वपूर्ण और फेमस ऐतिहासिक स्थल है। यह मकबरा का निर्माण 15वीं शताब्दि को हुमायु कि पत्नी हमीदा बानू बेगम के द्वारा वह अपने पत्ती की याद में बनवाया था। मकबरा की भव्यता ओर वस्तुकला पर्यटकों के मनमोह लेता है। यह दो मंजिला प्रवेश द्वार ओर केंद्र में हुमायु मकबरा के साथ 4 उद्यान है। यह मकबरा भारत की एल्कॉवर्स, सुंदर गुंबद और विस्तृत गलियारे के रूप में ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। हुमायु मकबरा इतना सुंदर है कि प्रति वर्ष लाखों संख्या में पर्यटकों यहां घुमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 40 रुपए ओर प्रति विदेशी नागरिक के लिए 510 रुपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है ।
हुमायु मकबरा कैसे पहुंचे – How To Reach Humayun’s Tomb
वायु मार्ग – By Air : दिल्ली का हवाई अड्डा का नाम इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डा से हुमायु मकबरा लगभग 17 किलोमीटर दूर है। यह हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है तो आप दिल्ली हवाई अड्डा पहुंच कर टैक्सी या बस से हुमायु मकबरा का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : आप नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहंच कर उहां से टैक्सी या बस से हुमायु मकबरा का यात्रा कर सकते है। दिल्ली रेलवे स्टेशन से हुमायु मकबरा लगभग 7 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग – By Road : उत्तरप्रदेश , पंजाब या हरियाणा से कार या टैक्सी से यात्रा कर सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक स्थल फतेहपुर सीकरी उत्तरप्रदेश – Bharat ke Aitihasik Sthal Fatehpur Sikri Uttar Pradesh
फतेहपुर सीकरी एक ऐसा ऐतिहासिक ओर खूबसूरत शहर है जो मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। इसका निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने 16 वीं शताब्दि में स्थापना किये थे। यह स्थान अकबर की स्थापत्य कला का उदाहरण है और यूनेस्को की विस्व धरोहर स्थल मैं शामिल है। यह स्थान अपनी खूबसूरती से पर्यकटों अपनी तरफ आकर्षित करता है इसलिए हर दिन हजारों के संख्या मैं पर्यटकों घूमने के लिए आते हैं इसमे बुलंद दरवाजा ,सलीम चिशती के मकबरे ओर जामा मस्जिद बोहत खूबसूरत है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 40 रुपए ओर प्रति विदेशी नागरिक के लिए 510 रुपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सिर्फ शुक्रवार छोड़कर हर दिन सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
फतेहपुर सीकरी कैसे पहुंचे – How To Reach Fatehpur Sikri
वायु मार्ग – By Air : आगरा मैं पंडित दीन दयाल उपाध्याय हवाई अड्डे है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से हर दिन उड़ान उपलब्ध करता है।
रेल मार्ग – By Rail : फतेहपुर सीकरी रेलवे स्टेशन एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है तो फतेहपुर सीकरी मैं एक्सपर्स ट्रेन नहीं रुकता है। अगर आप फतेहपुर सीकरी घुमने जा रहे हैं तो आगरा कैंट रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। उहां से टैक्सी या बस से फतेहपुर सीकरी का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : आगरा ,नोएडा ,दिल्ली और अन्य स्थानों से अच्छी तरह से बसों से जुड़ा हुआ है। आप निजी कार या टैक्सी बुक करके यात्रा कर सकते हैं
सांची स्तूप मध्यप्रदेश – Historical Places in India in Hindi Sanchi Stupa Madhya Pradesh
भारत के मध्यप्रदेश राज्य में सांची स्तूप स्थित है। मध्यप्रदेश कि राजधानी भोपाल से 46 किलोमीटर की दूर पर उत्तर पूर्व में विंध्य की पहाड़ियों पर स्थित यह एक खूबसूरत और भगवान बुद्ध से जड़ित एक ऐतिहासिक स्थल है। यहां देश भर से नहीं वल्कि पूरी दुनिया भर लोग घूमने लिए आते हैं। इसलिए सांची स्तूप को फेमस बुद्धिस्ट स्थल काहा जाता है। इस स्तूप का निर्माण मौर्य वंश के महान सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी इसा पूर्व के दौरान किया था।
सांची स्तूप को 15 अक्टूबर 1982 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था। सांची का पेहला खासियत यह है कि आज से 2300 साल पहले सम्राट अशोक ने यहां पर मिटी और ईंटों का स्तूप बनवाया था और उसके 100 साल बाद सूर्य वंश के राजा अग्नि मित्र ने उस स्तूप के ऊपर दूसरा पत्थर का एक स्तूप वनवाया जो आज भी यहां महजुद है। गौतम बुद्ध के अस्थि को सुरक्षित करने के लिए यहां पक्की ईंटों पर पत्थर लगवाए गए। सांची अपनी शानदार कला कुर्तिया के लिए पूरे दुनिया भर में प्रसिद्ध है इसलिए हर साल लाखों संख्या में पर्यटकों यहां घूमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 10 रूपए और विदेशी नागरिक के लिए 250 रूपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 8:30 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
सांची स्तूप कैसे पहुंचे – How To Reach Sanchi Stupa
वायु मार्ग – By Air : भोपाल का हवाई अड्डा का नाम राजा भोज अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। सांची स्तूप से राजा भोज अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग 55 किलोमीटर दूर है। यहाँ के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से आपको भोपाल के लिए फ्लाइट मिल जाएगी। आप उहां पहुंच पर टैक्सी या कैब से सांची स्तूप का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : सांची रेलवे स्टेशन सांची स्तूप से 2 किलोमीटर दूर है। सांची रेलवे स्टेशन से सभी ट्रेन रुकता नहीं है। इसलिए आप भोपाल रेलवे स्टेशन से जो लगभग 46 किलोमीटर दूर है, उहाँ से आप टैक्सी या कैब के माध्यम से सांची स्तूप का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : मध्यप्रदेश यात्रा के लिए अन्य शहरों से आप टैक्सी या कार से सांची स्तूप का यात्रा कर सकते हैं।
भारत की ऐतिहासिक ईमारत वीक्टोरीया मेमोरियल कोलकाता – Bharat ke Aitihasik Imarat Victoria Memorial Kolkata
पश्चिम बंगाल में स्थित वीक्टोरीया मेमोरियल एक खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थान है जो ब्रिटिश काल की याद दिलाता है। जितने भी पर्यटकों कोलकाता घूमने लिए आते हैं वो अंग्रेजी की इस शाही विरासत वीक्टोरीया मेमोरियल को बिना देखे और बिना घूमे नहीं जाते हैं। महारानी वीक्टोरीया के 25 वर्षों के शासन जश्न मनाने के लिए उनके सम्मान में यह खूबसूरत सफेद मार्बल से बनाया गया ऐतिहासिक स्मारक है। भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने वीक्टोरीया मेमोरियल को ऐसा काम किया जैसे लोग देखकर अपने मन मैं गर्व ला सके। आज यह भारत का एक प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं और पर्यटकों का बीच एक प्रसिद्ध और आकर्षक स्थल है।
इस महल को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है जिसमे चित्रों , कलाकृतिया पांडुलिपियों का व्यापक संग्रह है। वीक्टोरीया मेमोरियल 64 एकड़ जमीन में फैला हुआ है।शाम के समय लाइट एंड साउंड शो पर्यटकों को बोहत ही लुभाता है। इस इमारत को बनाने के लिए 1 करोड़ 5 लाख रूपए खर्च हुआ था क्योंकि लॉर्ड कर्जन चाहते थे कि महारानी को जो समारक समर्पित किया जाए वो विशाल होना चाहिए। वीक्टोरीया मेमोरियल में एक विशाल फूल बाग है जो पर्यटकों को अपने तरफ आकर्षित करता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 20 रूपए और विदेशी नागरिक के लिए 200 रूपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 5:30 से शाम 6:15 बजे तक खुला रहता है।
वीक्टोरीया मेमोरियल कैसे पहुंचे – How To Reach Victoria Memorial
वायु मार्ग – By Air : कोलकाता का हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए हर दिन और सभी प्रमुख शहरों से फ्लाइट आना जाना करता है।आप कोलकाता हवाई अड्डा पहुंचकर टैक्सी या कैब से वीक्टोरीया मेमोरियल का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : आप कोई भी शहर से हावड़ा रेलवे स्टेशन पहुंच कर उहां से टैक्सी या कैब से वीक्टोरीया मेमोरियल का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : आप नई दिल्ली , दार्जिलिंग या रांची से टैक्सी या बस से यात्रा कर सकते हैं।
भारत की ऐतिहासिक जगह रानी की वाव गुजरात – Historical Places in India in Hindi Rani Ki Vav Gujurat
रानी की वाव गुजुरत के एक छोटे से शहर पाटन में सरस्वती नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है। इसको रानी की वाव या रानी की बावड़ी भी काहा जाता है और यह जल भंडारण प्रणाली का एक विशिष्ट रूप है। यह एक विशाल संरचना है जो 24 मीटर गहरी है। यह समारक का निर्माण 11वीं शताब्दी मैं सोलकी वंश के राजा भीमदेव के लिए उनकी पत्नी रानी उदयमती द्वारा निर्माण करबाया था। इसका निर्माण शैली पर्यटकों को ओर ज्यादा अपने तरफ आकर्षित करता है। रानी की वाव का दिलचप्स बात यह है कि केंद्रीय स्तर पर दशवतार विषय है ,जिसका अर्थ है विष्णु के 10 अवतार और जब आप जल स्तर का आसपास जायेंगे एक हजार सांपों के सिर पर विष्णु की एक मूर्ति होगी। हर दिन हजार हजार संख्या में पर्यटकों यहां घूमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 5 रूपए और विदेशी नागरिक के लिए 135 रूपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 8:00 से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
रानी की वाव कैसे पहुंचे – How To Reach Rani ki Vav
वायु मार्ग – By Air : पाटन का निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद है जो 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आपको जैसे सुविधा होगा आप वसे ही पाटन में या गुजरात में पहुंच कर बस या कैब से रानी की वाव का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : पाटन का अपना रेलवे स्टेशन है ओर सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, आप पाटन पहुंच कर उहां से बस या कैब से रानी की वाव का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : पाटन के आस पास शहरों से निजी टैक्सी या कार से रानी की वाव का यात्रा कर सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक जगह चारमीनार हैदराबाद – Bharat ke Aitihasik Sthal Charminar, Hyderabad
हैदराबाद मैं प्रसिद्ध चारमीनार एक खूबसूरत और भारत का शानदार ऐतिहासिक स्थल है। चारमीनार हैदराबाद कि पहचान है। जब कुतुब शाह राजधानी को गोलकोंडा से हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया था तब यह समारक बनाई गई थी। यह लोकप्रिय मस्जिद इंडो – इस्लामिक वास्तुकला से बना हुआ है। इसका नाम चारमीनार इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें चार मीनारों है। चारमीनार कि ऊपर महल पर जाने के लिए 149 सीढ़ियों चढ़कर आपको जाना पड़ेगा। इसका ऊंचाई 49 मीटर है और संगमरमर, चुना पत्थर और ग्रेनाइट से बना हुआ है। चारमीनार को देखने के लिए हर साल लाखों संख्या में पर्यटकों आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 5 रूपए और विदेशी नागरिक के लिए 100 रूपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:30 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
चारमीनार कैसे पहुंचे – How To Reach Charminar
वायु मार्ग – By Air : हैदराबाद का हवाई अड्डा का नाम राजीव गांधी अंत राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। राजीव गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा से चारमीनार लगभग 20 किलोमीटर दूर है। हर दिन हैदराबाद के लिए सभी प्रमुख शहरों से फ्लाइट आना जाना करता है। आप हैदराबाद का हवाई अड्डा पहुंचकर टैक्सी या कैब से चारमीनार का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : हैदराबाद का डेकन रेलवे स्टेशन चारमीनार से लगभग 5 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। आप हैदराबाद की डेकन रेलवे स्टेशन पहुंच कर उहां से टैक्सी या कैब से चारमीनार का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : हैदराबाद का जातीय राजमार्ग मुंबई , चेन्नई , बैंगलोर और हम्पी के साथ अच्छी सड़क संपर्क है तो आप बस या निजी कार बुक करके चारमीनार का यात्रा कर सकते हैं।
भारत के हिस्टोरिकल प्लेस मैसूर पैलेस कर्नाटक – Bharat ke Aitihasik Sthal Mysore Palace Karnatak
भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित मैसूर पैलेस एक खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थल है। मैसूर पैलेस को अलग नाम से अंबा विलास पैलेस के नाम से जाना जाता है। यह शाही परिवार का पूर्व महल है और आज भी उनका अधिकार निवास है। इसका निर्माण महाराजा कृष्णराजा वाडियार चर्तुथ द्वारा किया गया है। महल का अग्रभाग मुस्लिम, हिंदू, राजपूत और गोथिक शैलियों का मिश्रण में बना हुआ है। ताजमहल के बाद मैसूर पैलेस सबसे ज्यादा घूमे जाने वाला महल है। महल की लंबाई 245 फीट और चौड़ाई 156 फीट है। मैसूर पैलेस में कई स्थान है जहां पर्यटकों को जाने का अनुमति नहीं है ओर यह महल में प्रवेश करने के लिए 3 द्वार बनाया गया है यथा पूर्व , पश्चिमी और दक्षिणी द्वार का नाम है। सिर्फ भारत के नहीं विदेशी पर्यटकों का यहां साल भर भीड़ लगे रहता है। प्रति वर्ष 60 लाखों से जायदा पर्यटकों यहां घूमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 40 रूपए और विदेशी नागरिक के लिए 200 रूपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 10:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है और रविवार को छुट्टी रहता है।
मैसूर पैलेस कैसे पहुंचे – How To Reach Mysore Palace
वायु मार्ग – By Air : मैसूर हवाई अड्डा से मैसूर पैलेस लगभग 11 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। आप मैसूर हवाई अड्डा पहुंच कर उहां से टैक्सी या कैब से मैसूर पैलेस का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : मैसूर रेलवे स्टेशन से मैसूर पैलेस लगभग 2 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। आप मैसूर रेलवे स्टेशन पहुंच कर उहां से टैक्सी या कैब से मैसूर पैलेस का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : मैसूर राजमार्ग के लिए प्रमुख शहारों से अच्छा सड़क संपर्क है तो आप मैसूर का आसपास शहारों से निजी कार या टैक्सी से मैसूर पैलेस का यात्रा कर सकते हैं।
अजंता और एलोरा की गुफाएं औरंगबाद – Ajanta And Ellora Caves Aurangabad
भारत के महाराष्ट्र राज्य में औरंगबाद शहर से 30 किलोमीटर की दुरी पर स्थित अजंता और एलोरा की गुफाएं एक खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है। यह गुफाएं हिन्दू ,जैन और बुद्ध धर्म को समर्पित है और अजंता और एलोरा में पूरे 34 गुफाएं है 1 से लेकर 12 तक बौद्ध धर्म का ,13 से 29 तक हिंदू धर्म का और 30 से 34 तक जैन धर्म का है, इनमें सेे अधिकांश गुफाएं मठ हैै जिसका उपयोग प्राथना और अध्यन केे लिए किया जाता है। एक ब्रिटिश अधिकारी 1819 में जॉन स्मिथ ने एक बाघ का पीछा करते हुए इस स्थान पर पहुंचे और इस स्थान को उजागर किया। यह दुनिया का एक ऐसा जगह है जो चट्टान को काट के गुफाएं खोदित करके किया गया है।
यह आपको प्राचीन बौद्ध वास्तुकला , चित्रों और मूर्तियां की गवाही देती है। यहां एक कैलाश मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है बौद्ध भिक्षुओं को मानसून के समय बाहर जाने की अनुमति नहीं थी और वो अजंता की गुफाओं में बैठकर मूर्तियां तरास्ते रहते थे। हर दिन पर्यटकों का भीड़ यहां लगा रहता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीय नागरिक के लिए 10 रूपए और विदेशी नागरिक के लिए 250 रूपए है। शुक्रवार को कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है ।अजंता गुफा सोमवार और एलोरा गुफा मंगलवार को बंद रहती है।
अजंता और एलोरा की गुफाएं कैसे पहुंचे – How To Reach Ajanta And Ellora Caves
वायु मार्ग – By Air : औरंगबाद हवाई अड्डा के लिए हर दिन भारत के सभी प्रमुख शहरों से फ्लाइट आना जाना करता है तो आप उहां पहुंच कर बस या कैब से अजंता और एलोरा गुफाएं कि यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : औरंगबाद का रेलवे स्टेशन का नाम जलगांव जंक्शन है ओर यह देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आप उहां पहुंच कर बस या कैब से अजंता और एलोरा गुफाएं कि यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : आस पास शहरों से गुफाएं जाने के लिए बस सेवाओं उपलब्ध है। आप टैक्सी या कार भी बुक करके जा सकते हैं।
इंडिया की ऐतिहासिक इमारतें सिटी पैलेस उदयपुर – Bharat ki Aitihasik Imarat City Palace Udaipur
राजस्थान राज्य का उदयपुर शहर में पिछोला झील के किनारे में स्थित सिटी पैलेस एक खूबसूरत और सबसे बड़ा ऐतिहासिक महल है। इसका निर्माण 1559 में महाराणा उदय सिंह ने करवाया था और पैलेस में अब आंगन, मंडप ,महल, गालियारो, कमरे और खूबसूरत उद्यान है। सिटी पैलेस में महाराजा रहते थे। इस स्थान पर एक संग्रहालय भी शामिल है जो संग्रहालय संस्कृति और राजपूत कला को प्रदर्शित करता है। यहां कई फिल्म भी शुटिंग किया गया है और आपको यहां विभिन्न प्रकार का प्राचीन रंगीन चित्रों देखने को मिलेगी। सिटी पैलेस घूमने के लिए आपको पूरे 3 घंटे का समय जरूरत है। इस महल की खूबसूरत दृश्य पर्यटकों को अपने तरफ आकर्षित करता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति वयस्कों व्यक्ति के लिए 300 रुपए और प्रति बच्चों के लिए 100 रुपए प्रवेश शुल्क है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन सुबह 9:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।
सिटी पैलेस कैसे पहुंचे – How To Reach City Palace
वायु मार्ग – By Air : उदयपुर का हवाई अड्डा का नाम महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है। महाराणा प्रताप हवाई अड्डा से सिटी पैलेस लगभग 23 किलोमीटर दूर है। आप उहां पहुंच कर बस या कैब से सिटी पैलेस कि यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : उदयपुर रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है। आप उहां पहुंच कर बस या कैब से सिटी पैलेस कि यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : उदयपुर की आसपास शहरों से उदयपुर राजमार्ग से अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है। आप उहां पहुंच कर बस या कैब ले कर सिटी पैलेस कि यात्रा कर सकते हैं।
भारत का ऐतिहासिक स्थल जालियांवाला बाग पंजाब – Historical Places in India in Hindi Jallianwala Bagh Punjab
पंजाब राज्य का अमृतसर सहर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के पास जालियांवाला बाग एक सार्वजनिक पार्क है। यह पार्क अंग्रेज द्वारा किए गए नरसिंहार की याद में बना एक खूबसूरत समारक है। 1951 में भारत सरकार द्वारा यह समारक स्थापित किया गया था और इसका उदघाटन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद द्वारा 13 अप्रैल 1961 में किया गया था। यह जगह पर अंग्रेजो द्वारा हत्या की घटना हुई थी उस जगह को अब एक शानदार पार्क में बदल दिया गया है। देश पर यह दुख घटना बुरा असर छोड़ा था और इस घटना में जान गवाने ने वाले मासूमों लोगो की याद में यह समारक बनाया गया था। ऐसा माना जाता है इसी स्थान पर 1000 से अधिक मुस्लिम, हिंदू और सिख का जान चली गई थी।
जालियांवाला बाग पार्क 6.5एकड़ भूमि में फैला हुआ है। जब जालियांवाला बाग आप प्रवेश करेंगे प्रवेश द्वार पर एक समारक टैबलेट है जो इतिहास के रिकॉर्ड के रूप में कार्य करता है। जालियांवाला में एक कुआँ है जिसमे कई लोग खुद को गोलियों के हमले से बचाने के लिए कूद पड़े थे। जो भी अमृतसर घूमने आते हैं वो जरूर जालियांवाला बाग का भ्रमण करते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : इसका कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 6:30 से शाम 7:30 बजे तक खुला रहता है।
जालियांवाला बाग कैसे पहुंचे – How To Reach Jallianwala Bagh
वायु मार्ग – By Air : अमृतसर के केंद्र से गुरु राम दस जी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा 11 किलोमीटर दूर पर है। अमृतसर हवाई अड्डा के लिए भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। आप अमृतसर पहुंच कर बस या कैब से जालियांवाला बाग का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : जालियांवाला बाग का रेलवे स्टेशन अमृतसर में है। अमृतसर के लिए आपको देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छे से ट्रेन मिल जाएगी। आप अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंच कर बस या कैब से जालियांवाला बाग का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : अमृतसर सड़क मार्ग देश के कई शहरों के सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप बस या कैब से अमृतसर का यात्रा कर सकते हैं।
भारत में घूमने की ऐतिहासिक जगह ग्वालियर का किला मध्यप्रदेश – Historical Places in India in Hindi Gwalior Fort Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश राज्य कि ग्वालियर शहर में एक पहाड़ी पर ग्वालियर फोर्ट सबसे प्राचीन और शानदार ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। इस किले की ऊंचाई 35 मीटर है। इस किले को दो भाग में बना गया है एक भाग गुजरी महल और दूसरी है मान मंदिर। इसका निर्माण मान सिंह तोमर द्वारा किया गया था। गुजरी महल को रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया था। यह किला करीब 10 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। इसका वास्तुशिल्प पर्यटकों का दिल जीत लेता है। ग्वालियर किला कई बार एक राजवंश के कब्जे से दूसरे राजवंश तक गया है। आप मध्यप्रदेश जा रहे है तो जरूर ग्वालियर का यात्रा करें।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : ग्वालियर किला का प्रवेश शुल्क 75 रुपए है और 15 साल कम उम्र के बच्चों के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है ।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 6:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।
ग्वालियर का किला कैसे पहुंचे – How To Reach Gwalior Fort
वायु मार्ग – By Air : हम आपको बता दें कि ग्वालियर का हवाई अड्डा शहर के केंद्र से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यह हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आप ग्वालियर पहुंच कर बस या कैब से ग्वालियर का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : आप ग्वालियर पहुंचने के लिए रेल मार्ग चुनाब किए है तो आसानी से पहुंच जाएंगे। रेलवे स्टेशन से स्थानीय बस या कैब से ग्वालियर का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : सड़क मार्ग से ग्वालियर जाने का योजना है तो सबसे अच्छा बस है।
भारत के ऐतिहासिक जगह महाबोधी मंदिर बोधगया – Bharat ke Aitihasik Sthal Mahabodhi Temple Bodh Gaya
महाबोधी मंदिर बोधगया के एक सबसे खूबसूरत और आकर्षक मंदिर है। यह मंदिर 4.8 हेक्टर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया है। यह वो स्थान है जहां बुद्ध को अंजीर के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए ज्ञान प्राप्त हुआ था। मंदिर में बुद्ध की एक विशाल मूर्ति है जो इस दाहिने हाथ से पृथ्वी को छूती है। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थान दुनिया के समाप्त होने पर गायब होने वाला अंतिम स्थान होगा और दुनिया को दोबारा बनने पर फिर से प्रकट होने वाला पहला स्थान होगा। यह शानदार मंदिर को देखने के लिए हर दिन हजार हजार संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : यह मंदिर जाने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं लगता है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
महाबोधी मंदिर कैसे पहुंचे : How To Reach Mahabodhi Temple
वायु मार्ग – By Air : महाबोधी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा गया है जो बोधगया सहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। आप आपकी सुविधा अनुसार बोधगया एयरपोट पहुंचकर उहां से बस या कैब से महाबोधी मंदिर का यात्रा कर सकते है ।
रेल मार्ग – By Rail : बोधगया का निकटतम रेलवे स्टेशन गया जंक्शन है जो बोधगया से 13 किलोमीटर दूर है ।यह रेलवे स्टेशन के लिए सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन चलती है। आप गया रेलवे स्टेशन पहुंचकर उहां से बस या कैब से महाबोधी मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : गया का आस पास शहरों से अच्छे से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है तो आप बस या निजी कार, टैक्सी बुक करके महाबोधी मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल इंडिया गेट दिल्ली – Historical Places in India in Hindi India Gate Delhi
दिल्ली शहर के केंद्र में स्थित इंडिया गेट एक खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थल है। यह आखिल भारतीय युद्ध समारक जिसे इंडिया गेट नाम से जाना जाता है। प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध के समय मारे गए 82,000 ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों को समर्पित इस समारक 13,300 सैनिकों के नाम खुदे हुए है। इंडिया गेट का खूबसूरत वास्तुकला पर्यटकों का मनमोह लेती है। इसका निर्माण 1921 एडविन लूटियंस द्वारा निर्मित किया गया है और इसको निमार्ण करने के लिए लाल और पीले पत्थरो का इस्तमाल किया गया है। इंडिया गेट की ऊंचाई 42 मीटर है। यह समारक को देखने लिए भारतीयों और विदेशियों पर्यटकों का हर दिन भीड़ लगे रहता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : इंडिया गेट जाने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन हर समय खुला रहता है ।
इंडिया गेट कैसे पहुंचे – How To Reach India Gate
वायु मार्ग – By Air : नई दिल्ली का हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से इंडिया गेट लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत के सभी प्रमुख शहरों से नई दिल्ली हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट आना जाना करता है। आप नई दिल्ली हवाई अड्डा पहुंच कर उहां से बस या कैब का सहारा लेकर इंडिया गेट का यात्रा कर सकते है।
रेल मार्ग – By Rail : नई दिल्ली जंक्शन से इंडिया गेट लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच कर उहां से बस या कैब का सहारा लेकर इंडिया गेट का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : नई दिल्ली का आस पास शहरों से टैक्सी या कार बुक करके इंडिया गेट का यात्रा कर सकते हैं।
खजुराहों मंदिर मध्यप्रदेश – Khajuraho Temple Madhya Pradesh
खजुराहों मंदिर भारत के मध्य में स्थित एक खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थल है। यह एक खास लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यह मंदिर पूरे दुनिया भर में प्रसिद्ध है।इसका निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल राजवंश ने निर्मित किए थे। यह एक ऐसा मंदिर है जो कि अपनी प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए देश भर में नहीं वल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। खजुराहों कामुक और कामुक नक्कशी से सजे अपने खूबसूरत के लिए पर्यटकों को अपने तरफ आकर्षित करता है। यह प्रसिद्ध मंदिर मूल रूप में मध्यप्रदेश में हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है और सभी मंदिरों से यह सबसे पुराने और प्राचीन है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीयों नागरिक के लिए 10 रुपए और प्रति विदेशी नागरिक के लिए 250 रुपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है।
खजुराहों मंदिर कैसे पहुंचे – How To Reach Khajuraho Temple
वायु मार्ग – By Air : खजुराहों मंदिर से खजुराहों हवाई अड्डा लगभग 7 किलोमीटर दूर है। जहां से आप कैब या बस लेकर खजुराहों मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : खजुराहों रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर दूरी पर खजुराहों मंदिर है। जहां से आप कैब या बस लेकर खजुराहों मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : खजुराहों राष्ट्रीय मार्ग खजुराहों के आस पास शहरों से अच्छे तरफ से जुड़ा हुआ है आप निजी बस या कार से खजुराहों मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
भारत की हिस्टोरिकल जगह हावड़ा ब्रिज कोलकाता – Historical Places in India in Hindi Howarh Bridge Kolkata
कोलकाता का एक प्रसिद्ध और खूबसूरत ऐतिहासिक लैंडमार्क हावड़ा ब्रिज है जो हुगली नदी पर बना हुआ है। यह दुनिया के सबसे लंबे कैटिलीवर पुलों में से एक है और यह ब्रिज हावड़ा और कोलकाता को जुड़ता है। हावड़ा ब्रिज को रवींद्र सेतु के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 1874 में किया गया था और इसको बनाने में 333 करोड़ रूपए खर्चा हुआ है।
हावड़ा ब्रिज निर्माण करने में 26,500 टन स्टील का उपयोग किया गया है। हर दिन यह ब्रिज के उप्पर 100,000 से अधिक वाहनों और अनगिनत पैदल यात्रियों के दैनिक यातायात को वहन करता है। हावड़ा ब्रिज लगभग 1500 फीट तक फैला हुआ है और 71 फीट चौड़ा है। कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध पर्यटकों स्थलों में हावड़ा ब्रिज शामिल हैं और हजारों पर्यटकों को अपने तरफ आकर्षित करता है। शाम के समय इस ब्रिज की सुंदरता ज्यादा बढ़ जाता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : हावड़ा ब्रिज जाने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : इसका कोई भी प्रवेश समय नहीं है।
हावड़ा ब्रिज कैसे पहुंचे – How To Reach Howarh Bridge
वायु मार्ग – By Air : कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा है जो हावड़ा ब्रिज से लगभग 17 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग – By Rail : कोलकाता में हावड़ा और सियालद दो मुख्य रेलवे स्टेशन है जो भारत के सभी बड़े बड़े रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है। आप ट्रेन से हावड़ा और सियालद रेलवे स्टेशन पहुंच कर कैब या बस लेकर हावड़ा ब्रिज का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : कोलकाता पश्चिम बंगाल के साथ साथ भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छे तरफ से जुड़ा हुआ है। कोलकाता के आस पास शहरों से हावड़ा ब्रिज के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध है।
भारत के ऐतिहासिक स्थल आगरा किला आगरा – Historical Places in India in Hindi Agra Fort Agra
उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे पर स्तिथ आगरा किला एक विशाल किला है। यह विश्व प्रसिद्ध ताजमहल से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।इसका निर्माण पूरी लाल बलुआ पत्थर से मुगल शासक बादशाह ने वर्ष 1573 में करवाया था और यह स्थान वर्ष 1638 तक मुगलों का मुख्य निवास स्थान था। इसको लालकिला , फोर्ट रूज और किला -ए-अकबरी के रूप में भी जाना जाता है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक आगरा किला है। आगरा किला अपनी खूबसूरत शैली के लिए प्रसिद्ध है। प्रति वर्ष इसको देखने के लिए लाखों संख्या में पर्यटकों घूमने आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीयों नागरिक के लिए 40 रुपए और प्रति विदेशी नागरिक के लिए 550 रुपए लगता है ।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
आगरा किला कैसे पहुंचे – How To Reach Agra Fort
वायु मार्ग – By Air : आगरा का हवाई अड्डा दिन दयाल उपाध्याय हवाई अड्डा आगरा किला से लगभग 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है और यह हवाई अड्डा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग – By Rail : आगरा का कैंट रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आप आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचकर कैब या बस का साहारा लेकर आगरा किला का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : आगरा के आसपास शहरों से हर दिन बस आना जाना करता है।
भारत के ऐतिहासिक स्मारक आमेर किला जयपुर – Bharat ke Aitihasik Sthal Amber Fort Jaipur
राजस्थान राज्य की गुलाबी सहर या पिंक सिटी जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर आमेर किला स्थित है। यह एक ऐतिहासिक स्थान है जो अपनी वास्तुशिल्प कला और इतिहास की वजह से जाना जाता है। यह एक ऐसा सुंदर स्थान है जहां हर दिन लगभग 5000 हजार पर्यटकों घूमने आते हैं। इसका निर्माण वर्ष 1592 में महाराजा मान सिंह प्रथम द्वारा बना हुआ है। आमेर किला को गुलाबी और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित किया गया है और इसको पूरी अच्छे तरह से घूमने के लिए 2 से 3 घंटे समय लगता है। आमेर किला में हर शाम पचास मिनिट लंबा साउंड और लाइट शो दिखाया जाता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीयों नागरिक के लिए 25 रुपए और प्रति विदेशी नागरिक के लिए 200 रुपए लगता है।
प्रवेश समय – Entry Time : हर दिन सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
आमेर किला कैसे पहुंचे – How To Reach Amber Fort
वायु मार्ग – By Air : अगर आप वायु मार्ग से आमेर किला यात्रा के लिए योजना कर रहे हैं तो यह बोहत अच्छा है माध्यम है। भारत के सभी सभी प्रमुख शहरों से जयपुर हवाई अड्डा जुड़ा हुआ है। आप जयपुर हवाई अड्डा पहुंचकर बस या कैब से आमेर किला का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आप जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंच कर बस या कैब से आमेर किला का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : जयपुर के लिए नई दिल्ली , उदयपुर , कोटा, अहमदाबाद, वडोदरा ओर मुंबई से नियमित बस मिल जाएगी। जयपुर के आस पास शहरों से निजी बस या टैक्सी में भी यात्रा कर सकते हैं।
इंडिया की हिस्टोटरीकल प्लेस महरानगड़ का किला ,जोधपुर – Historical Places in India in Hindi Mehrangarh Fort Jodhpur
भारत के सबसे बड़े और खूबसूरत ऐतिहासिक स्थलों में से एक है महरानगड़ का किला है। यह किला पहाड़ी पर स्थित है और इस किले की परिसर में सात प्रवेश द्वार है।इसका निर्माण 1459 में राव जोधा द्वारा जोधपुर में बनाया गया था। यह 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। किले की बारीक नक्काशी ,विशाल प्रगाण , प्रभावशाली इतिहास और आकर्षक महल दुनिया भर के पर्यटकों को अपने तरफ आकर्षित करता है। कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्म में महरानगड़ किले को दिखाया गया है। किले का प्रवेश द्वार एक पहाड़ी के ऊपर है और इसमें सात द्वार है। इन्हे गोपाल गेट ,फतह गेट , डेढ़ कामगरा गेट आदि अलग अलग नाम से जाने जाता हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : प्रति भारतीयों नागरिक के लिए 70 रुपए और प्रति विदेशी नागरिक के लिए 700 रुपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:00 से लेकर शाम 5:00 तक खुला रहता हैं.
महरानगड़ का किला कैसे पहुंचे – How To Reach Mehrangarh Fort
वायु मार्ग – By Air : राजस्थान के प्रमुख हवाई अड्डों में से एक जोधपुर हवाई अड्डा है। यहाँ के लिए देश के विविन्न हिस्सों से दैनिक उड़ानें उपलब्ध है।
रेल मार्ग – By Rail : जोधपुर रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जोधपुर के लिए हर दिन ट्रेन उपलब्ध है।
सड़क मार्ग – By Road : जोधपुर सहर राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। जोधपुर के आस पास शहरों से महरानगड़ के लिए बस सेवाएं उपलब्ध है। आप निजी कार या टैक्सी बुक करके जा सकते हैं।
भारत की ऐतिहासिक जगह चोल मंदिर ,तमिलनाडु – Historical Places in India in Hindi Chola Temple Tamil Nadu
चोल मंदिर एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जो अपनी मजबूत इतिहास के लिए जाना जाता है। इसका इतिहास हमें एक युग की संस्कृति, लोगों और परंपराओं के बारे में सिखाता है। भारत के दक्षिण हिस्सों में चोल साम्राज्य ने कई सदियों तक शासन किया और यहां पर दुनिया के सबसे शानदार मंदिर निर्माण किया, जिसे अभी चोल मंदिर के नाम से जाना जाता है। चोल मंदिर का निर्माण 11 वी और 12 वी शताब्दी के बीच हुआ था। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा चोल साम्राज्य द्वारा निर्मित तीन मंदिर है जिन्हें ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर का दिलचप्स बात यह है कि राजा चोलन को तंजौर में बृहदेस्वर मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया गया है क्योंकि उन्होंने श्रीलंका का दौरा करते हुए एक सपना देखा था।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : यह मंदिर जाने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 6:00 बजे से रात 8:30 बजे तक खुला रहता है और दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 4:00 बजे बंद रहता है।
चोल मंदिर कैसे पहुंचे – How To Reach Chola Temple
तमिलनाडु जाने के लिए सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन और उड़ान की सुविधाएं है तो आप आपकी सुविधा अनुसार ट्रेन या फ्लाइट से तमिलनाडु की यात्रा कर सकते है ।तमिलनाडु कि रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डा पहुंच कर उहां से बस या टैक्सी की सहारा लेकर चोल मंदिर का यात्रा कर सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक जगह लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा – Historical Places in India in Hindi Laxmi Vilas Palace Vadodara
लक्ष्मी विलास पैलेस बड़ौदा पर शासन करने वाले प्रतिष्ठित गायकवाड़ परिवार द्वारा निर्मित किया गया था। महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने वर्ष 1890 में बनवाया था और यह उनका निजी निवास था। यह सुंदर लक्ष्मी विलास पैलेस का निर्माण 1890 में सुरु किया गया था और इसको बनाने में पूरे 12 साल लगे थे। लक्ष्मी विलास पैलेस 700 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और इसका आकार बकिंघम पैलेस से चार गुना अधिक है। यह पैलेस अपने परिसरों के भीतर कई अन्य इमारतों को शामिल करता है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : लक्ष्मी विलास पैलेस का प्रवेश शुल्क प्रति वेक्ति 150 रुपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है ।
लक्ष्मी विलास पैलेस कैसे पहुंचे – How To Reach Laxmi Vilas Palace
वायु मार्ग – By Air : वडोदरा का अपना एक हवाई अड्डा है, लेकिन यहां केवल घरेलू उड़ानों को ही संचालित करता है। वडोदरा हवाई अड्डा भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। वडोदरा हवाई अड्डा पहुंच कर उहां से बस या टैक्सी की सहारा लेकर लक्ष्मी विलास पैलेस का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : वडोदरा रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहर के रेलवे स्टेशन से अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है। कई बड़ा शहरों से वडोदरा के लिए नियमित ट्रेन चलती है। वडोदरा रेलवे स्टेशन पहुंच कर उहां से बस या टैक्सी की सहारा लेकर लक्ष्मी विलास पैलेस का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : अगर आप सड़क मार्ग से लक्ष्मी विलास पैलेस यात्रा करने का सोच रहे हैं तो बोहत अच्छा है क्योंकि वडोदरा सड़क मार्ग उसके आस पास शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। आप निजी कार या टैक्सी मैं लक्ष्मी विलास पैलेस का यात्रा कर सकते हैं।
भारत में ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जंतर मंतर जयपुर – Historical Places in India in Hindi Jantar Mantar Jaipur
जंतर मंतर दुनिया की सबसे बड़ी खगोलीय वेदशाला है और भारत सबसे के सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है। इस जगह का निर्माण 18 वी में राजा सवाई माधो सिंह ने करवाया था क्योंकि वो विज्ञान के बड़े प्रशासक थे। आज यह जंतर मंतर नाम का स्थान खगोलीय उपकरण का एक विशेष संग्रह बनकर खड़ा है। इन यंत्रों को जंतर मंतर और सम्राट यंत्र भी कहा जाता है जिसका सीधी अर्थ है गणना यंत्र। इसे यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल किया गया है।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : भारतीयों के लिए 15 रुपए और विदेशीयो के लिए 200 रुपए शुल्क लगता है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 9:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है ।
जंतर मंतर कैसे पहुंचे – How To Reach Jantar Mantar
जयपुर जाने के लिए सभी प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग और रेल मार्ग अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है। आप आपकी पसंदिता अनुसार ट्रेन या रेल मार्ग से जंतर मंतर का यात्रा कर सकते हैं। जयपुर कि रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डा पहुंच कर उहां से बस या टैक्सी की सहारा लेकर जंतर मंतर का यात्रा कर सकते हैं।
भारत के ऐतिहासिक स्थल हम्पी कर्नाटक – Bharat ke Aitihasik Sthal Hampi Karnatak
भारत के कर्नाटक राज्य में हम्पी तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित एक विशाल मंदिर है जोकि अपने सुंदर और विशाल कारूकार्य के लिए पूरे दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह स्थान यहां के ऐतिहासिक विरूपाक्ष मंदिर के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यह मंदिर विजय नगर साम्राज्य के संरक्षक देवता को समर्पित किया गया है। हम्पी का निर्माण लक्कना दंडेश द्वारा 1570 में किया गया है। खंडहरों का शहर हम्पी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। कर्नाटक राज्य में पहाड़ियों और घाटियों की छायादार गहराई में यह स्थान स्थित है जिसको देखने के लिए हर दिन हजार के संख्या में पर्यटकों आते हैं।
प्रवेश शुल्क – Entry Fee : भारतीयों के लिए 10 रुपए और विदेशीयों के लिए 330 रुपए है।
प्रवेश समय – Entry Time : सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है और शुक्रवार को बंद रहता है।
हम्पी कैसे पहुंचे – How To Reach Hampi
वायु मार्ग – By Air : अगर आप वायु मार्ग से हम्पी जाने का योजना बना रहे है तो में आपको बता देती हूं कर्नाटक के हम्पी से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जिंदाल विजयनगर एयरपोर्ट बेल्लारी हवाई अड्डा है, जो यहां से 35 किलोमीटर दूरी पर है। आप एयरपोर्ट पहुंचकर उहां से बस या कैब के माध्यम से हम्पी का यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग – By Rail : हम्पी का कोई निजी रेलवे स्टेशन नहीं है लेकिन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन होसपेट जंक्शन है जो हम्पी महज से 13 किलोमीटर दूरी पर है। आप रेलवे स्टेशन पहुंचकर उहां से बस या कैब से हम्पी का यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग – By Road : अगर आप सड़क मार्ग से हम्पी जाने का योजना बना रहे है तो बोहत्त अच्छा चुनाव किया है ।बैंगलोर, मुंबई , पुणे और बेल्लारी जैसे प्रमुख शहरों से हम्पी सड़क मार्ग जुड़ा हुआ है। आप निजी कार या टैक्सी से हम्पी का यात्रा आसानी से कर सकते हैं।
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