Humayun ka Maqbara: यमुना नदी के तट पर स्तिथ हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्तिथ एक प्रभावशाली मकबरा है जो मुगल काल का एक शानदार वास्तुशिल्प है। यह मक़बरा मुख्य रूप से मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है जिसे हुमायूँ के सबसे बड़े पत्नी बेगा बेगम ने उनके मृत्य के बाद 1560 बनवाया था। आज यह मकबरा न केवल दिल्ली में बल्कि पुरे बिश्व में एक प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। यह भारत में निर्मित अपनी तरह का पहला भव्य मकबरा है और देश में पहला उद्यान मकबरा भी है। यह दिल्ली में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और भारत का एक प्रसिद्ध आकर्षण है जो दुनिया भर से पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित करता है।
भारत के राजधानी दिल्ली में स्तिथ हुमायूँ का मक़बरा एक और यूनेस्को विरासत स्थल है जो मुगल और फारसी वास्तुकला के एक अद्भुत मिश्रण है। यह मकबरा सुंदरता का एक प्रतिक है और खूबसूरत हरे भरे मुगल उद्यानों से घिरा हुआ है। यह मकबरा एक आश्चर्यजनक उद्यान मकबरा है इसे ताजमहल की प्रेरणा का स्रोत भी माना जाता है, लेकिन इसका डिजाइन बहुत अलग है। इसे हुमायूँ की पत्नी हाजी बेगम ने अपने पति की याद में बनवाया था। मकबरा 1569 में बनकर तैयार हुआ था और 1993 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
सभी को नमस्कार है, उम्मीद है आप सभी अच्छे होंगे। दिल्ली का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों में हुमायूँ का मकबरा है। यह आकर्षक स्मारक मुगल साम्राज्य की स्थापत्य प्रतिभा को पदर्शित करता है। प्रसिद्ध वास्तुकार मिराक मिर्जा घियास द्वारा डिजाइन किया गया, हुमायूं का मकबरा हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह मक़बरा एक विशाल बगीचे केंद्र में स्तिथ है जिसे चार बाग के नाम से जाना जाता है। इस परिसर में अन्य कई स्मारकों को देखा जा सकता है। साथ ही यहाँ कई फव्वारों हैं जो इस जगह को एक अलग स्थान बनता है। यह एक ऐसी जगह है जो अक्सर अतिहास प्रेमियों और पर्यटक को लुभाता रहा है क्योंकि यह स्थान मुगल इतिहास का एक बेहतरीन उदहारण है। अगर आप भी इस ऐतिहासिक स्मारक के बारे अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को जरूर पढ़े। उम्मीद है mapofholiday की इस लेख को आप सभी भरपूर Share और Like करेंगे, धन्यवाद।
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हुमायूँ मक़बरा का इतिहास – History of Humayun Tomb in Hindi
वास्तव में हुमायूँ का मकबरा का एक शानदार और लंबा इतिहास है। ऐतिहासिक स्मारक हुमायूँ का मकबरा भारत के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। मकबरे का निर्माण 1565 में शुरू हुआ, और 1572 तक चला। मकबरे के निर्माण की देखरेख बेगा बेगम ने की थी, जो हुमायूँ की मृत्यु से दुखी हो गई थी। उन्होंने मक्का से लौटने के बाद निर्माण का निरीक्षण किया। मकबरे के निर्माण का उल्लेख 16वीं शताब्दी के शुरुआती दस्तावेज में मिलता है, जिसे आइन-ए-अकबरी के नाम से जाना जाता है। पुस्तक मकबरे के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन करती है और मकबरे के निर्माण की रूपरेखा तैयार करती है।
मकबरे का निर्माण 1565 में शुरू हुआ और 1572 में बनकर तैयार हुआ। इसके निर्माण में 1.5 लाख रुपये की लागत आई थी। हुमायूँ की विधवा बेगा बेगम ने अपने पति के स्मारक के निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मकबरे का निर्माण दिल्ली में यमुना नदी के पास किया गया था। 16वीं शताब्दी के एक दस्तावेज के अनुसार, बेगा बेगम ने हज यात्रा से लौटने के बाद निर्माण की देखरेख की।
हुमायूं के मकबरे की वास्तुकला फारसी स्थापत्य शैली से प्रभावित है। इसका वास्तुशिल्प डिजाइन तैमूर के मकबरे और बीबी खानम के मकबरे के समान है। मकबरा एक खूबसूरत बगीचे में है, जिसे चार बाग के नाम से जाना जाता है। मकबरे के अंदरूनी हिस्से में कई फव्वारे और पानी की नहरें हैं जो दर्शनीय हैं।
हुमायुं मक़बरा की वास्तुकला – The Architecture of Humayun Tomb in Hindi
एक मकबरा जो प्यार का प्रतीक है, हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला समृद्ध और भव्य है। मकबरे की सुंदरता को पूरी तरह से पर्यटकों को मत्रमुग्ध कर देता है। इस मकबरे की वास्तुकला अद्वितीय है क्योंकि पूरी संरचना सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई थी। संरचना 47 मीटर लंबी है और डबल गुंबद को शामिल करने वाली पहली भारतीय इमारत है। इसके अग्रभाग पर 42.5 मीटर ऊंचा डबल गुंबद और भारी जाली का काम है और मकबरे में एक अष्टकोणीय दफन कक्ष और एक कब्रगाह है। यह मकबरा 1572 में बनकर तैयार हुआ था और इसकी लागत 1.5 मिलियन रुपये थी। मकबरा यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल बन गया है। आज यह स्मारक शहर में वास्तुकला का एक प्रतिष्ठित नमूना है और लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
हुमायूँ का मक़बरा खुलने का समय – Entry Time of Humayun Tomb in Hindi
यदि आप दिल्ली शहर की यात्रा कर रहे हैं, तो आपको हुमायूँ के मकबरे के प्रवेश समय के बारे में अवश्य पता होना चाहिए। मकबरे में प्रवेश समय सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक है और सप्ताह के सभी दिनों में खुला रहता है।
हुमायूँ का मकबरा में प्रवेश शुल्क – Humayun Tomb Entry Fee in Hindi
हुमायूँ के मकबरे की यात्रा के लिए प्रवेश शुल्क भारतीय पर्यटकों के लिए 35 रुपये है जबकि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए 550 भारतीय मुद्रा है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है।
हुमायूँ का मकबरा घूमने का अच्छा समय – Best Time to Visit in Humayun Tomb in Hindi
हुमायूँ का मकबरा भारत में एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है जो पुरे साल पर्यटकों से भरा रहता है। लेकिन हुमायूँ का मकबरा घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के बिच का है। इन महीनों के दौरान दिल्ली में मौसम सुहावना रहता है।
हुमायूँ का मकबरा कैसे पहंचे – How to Reach Humayun Tomb in Hindi
हुमायूँ का मकबरा दिल्ली शहर की किसी भी हिस्सों से पहंचना आसान है। निकटतम रेलवे स्टेशन रेस कोर्स स्टेशन और जोरबाग स्टेशन हैं। इसके अलाव शहर के किसी भी हिस्सों से मकबरे तक ऑटो और कैब के माध्यम से भी पहंच सकते हैं।
हुमायूँ का मकबरा के बारे में रोचक तथ्य – Interesting Facts About Humayan Tomb (Humayun ka Maqbara)
- हुमायूँ मकबरे के मुख्य वास्तुकार मिराक मिर्जा गियास की निर्माण पूरा होने से पहले ही मृत्यु हो गई थी। काम उनके बेटे सैय्यद मुहम्मद इब्न मिराक ने पूरा किया था।
- शाही परिवार के विभिन्न सदस्यों की 100 से अधिक कब्रें इस मकबरे के परिसर के भीतर स्थित हैं, जिसके कारण इस परिसर को मुगलों का छात्रावास कहा जाता है।
- कहा जाता है की सम्राट हुमायूँ की मृत्यु अपने महल की सीढ़ियों से गिरकर हुई थी।
- इस स्थल को वर्ष 1993 में यूनेस्को द्वारा विरासत स्थल घोषित किया गया था।
- हुमायूँ का मकबरा फ़ारसी द्वारा निर्मित पहला उद्यान मकबरा है। हुमायूँ के मकबरे का दृश्य इतना सुंदर है की पर्यटक इसकी खूबसूरती से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
हुमायूँ मकबरे के आसपास देखने लायक दर्शनीय स्थल – Other Monuments in Humayun Tomb Complex in Hindi
ईसा खान का मकबरा और मस्जिद – Tomb and mosque of Islam Khan
ईसा खान का अष्ठकोणीय मकबरा एक अष्ठकोणीय परिसर के केंद्र में स्तिथ है और एक खूबसूरत उद्यान से घिरा हुआ है। यह दिल्ली के निजामुद्दीन में हुमायूँ का मकबरा परिसर के अंदर स्थित है और लाल बलुआ पत्थर से बानी यह मकबरा हजारों पर्यटकों आकर्षित करता है। मकबरा का निर्माण शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। यह दिल्ली में स्तिथ एक प्रमुख आकर्षणों का केंद्र है।
नीला गुम्बद – Nila Gumbad
नीला गुंबद दिल्ली में स्तिथ सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सरांचा है जिसे ब्लू डोम भी कहते हैं। दिल्ली के हुमायूँ का मकबरा के परिसर में स्तिथ सबसे पुराने मुगल स्मारकों में से एक है जिसे 1530 के दशक में बनाया गया था। गुंबद में लगे नीली चमकीले टाइलों के बजहे से इसे नीला गुंबद कहा जाता है। आज यह सरांचा खंडहर में तब्दील हो चूका है, लेकिन इसकी ऐतिहासक आकर्षण आज भी मजूद है।
अफसरवाला मकबरा – Afsarwala Tomb
दिल्ली के और एक आकर्षणों में अफसरवाला मकबरा है जो हुमायूँ मकबरे के परिसर के भीतर स्तिथ है। इस मकबरे में किसकी कब्र है यह आज तक अज्ञान्त है।अफसरवाला मस्जिद दिल्ली के हुमायूं मकबरे के पश्चिमी द्वार के दक्षिण पश्चिम में लगभग 91 मीटर ऊंचे मंच पर स्तिथ है और पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है।
नाई का मकबरा – Barber’s Tomb
हुमायूं के मकबरे के दक्षिण पूर्व की ओर स्थित नाई का मकबरा एक खूबसूरत सरंचना है जिसे आमतौर पर नाई का गुंबद के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है नाई का मकबरा। यह हुमायूँ का मकबरा परिसर में एक खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है।
FAQs
Q: हुमायूँ का मकबरा कहाँ है? – Humayun ka Maqbara Haha Hai?
A: हुमायूँ का मकबरा भारत की राजधानी दिल्ली के पुराने केले के पास मथुरा मार्ग के निकट स्तिथ है।
Q: दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा किसने बनवाया था? – Delhi me Humayun Ka Maqbara Kisne Bnavaya tha ?
A: हुमायूँ मकबरा को मिरक मिर्जा घियाथी ने बनवाया था। लेकिन हुमायूँ का मकबरा बनाने का आदेश हुमायूँ का पहले पत्नी बानो बेगम ने अपने मृत पति की याद में दिया था।
Q: हुमायूँ का मकबरा कब बना था? – Humayun Ka Maqbara Kab bana tha?
A: हुमायूँ का मकबरा 1562 -1572 के बीच बनाया गया था। निर्माण में नौ साल का समय लगा, यह वर्ष 1565 में शुरू हुआ और वर्ष 1572 में पूरा हुआ।
Q: हुमायूँ का मकबरा किसके लिए बनवया गया था? – Humayun ka Maqbara Kiske liye banvaya geya tha?
A: हुमायूँ का मकबरा एक पत्नी के अपने मृत पति के प्रति प्रेम का खूबसूरत उदहारण है।
Q: हुमायूँ का मकबरा किस लिए प्रसिद्ध है? – Humayun ka Maqbara Kis liye Prasidh hai?
A: हुमायूँ का मकबरा भारत में मुगल वास्तुकला का पहला उदहारण है और अपनी विशिष्ट फ़ारसी वास्तुकला के भी लोकप्रिय है। यह स्मारक ताजमहल निर्माण को प्रेरित करने के लिए भी जाना जाता है साथ ही यह देश का पहला उद्यान मकबरा है।
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