Lingaraj Temple Bhubaneswar in Hindi – भुबनेश्वर की प्रसिद्ध मंदिर लिंगराज मंदिर

Lingaraj Temple Bhubaneswar in Hindi – भुबनेश्वर की प्रसिद्ध मंदिर लिंगराज मंदिर:  लिंगराज  मंदिर भारत के राज्य ओडिशा में स्तिथ एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो ओडिशा के राजधानी भुबनेश्वर में स्तिथ है। भुबनेश्वर ओडिशा की राजधानी है जिसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। लिंगराज मंदिर एक भव्य मंदिर है जो मुख्य रूपसे भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भुबनेश्वर का सबसे पुराना  तथा बड़ा मंदिर भी हे। लिंगराज  मंदिर ओडिशा राज्य के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में से एक है विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक लोगों के लिए यह  एक महत्वपूर्ण स्थान है।

11वीं शताब्दी  में निर्मित ओडिशा का लिंगराज मंदिर दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपने सुन्दर वास्तुकला और रोचक इतिहास के लिए बिश्व बिख्यात है। लिंगराज  का अर्थ है लिंगों के राजा जो भगवान शिव को दर्शाता है। लिंगराज मंदिर एक विशाल परिसर के भीतर स्तिथ है जो कई छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। यह मंदिर ओडिशा का सबसे  प्राचीन तथा  पवित्र मंदिर माना जाता है जहाँ हर साल लाखों के संख्या में तीर्थयात्रि और पर्यटक इस महान् मंदिर की दर्शन करने के  लिए आते है।

लिंगराज मंदिर में  भगवान शिव को कीर्तिवास के रूप में  पूजा की जाती थी बाद में हरिहर के रूप में पूजा जाता है और उन्हें त्रिभुवनेश्वर कहा जाता है। इस मंदिर को भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों का पूजा स्थल माना जाता है। तीर्थयात्री और पर्यटक  इस मंदिर की सुंदरता और आकर्षक शांतिपूर्ण वातावरण का अनुभव करने के लिए इस मंदिर की यात्रा करना पसंद करते हैं। मंदिर का बहुत महत्व है और इसके साथ कई लोककथाएं जुडी हुई हैं। लिंगराज मंदिर भारत के मंदिरों के शहर भुवनेश्वर में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। इस मंदिर की अनूठी वास्तुकला भी कई लोगों को इस जगह की ओर आकर्षित करती है।

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Lingaraj Temple Bhubaneswar in Hindi

History of Lingaraj Temple Bhubaneswar in Hindi – लिंगराज मंदिर का इतिहास

भुबनेश्वर में स्तिथ प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर का इतिहास काफी पुराना इतिहास माना  जाता है। इस मंदिर का निर्माण सोमवंश के राजा जाजति केसरी द्वारा किया गया था। ऐसा माना जाता है कि जब राजा जजती केसरी ने अपनी राजधानी जयपुर से भुवनेश्वर स्थानांतरित की तो वह लिंगराज मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया। लिंगराज मंदिर के आसपास कुल 150 मंदिर हैं। इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथ ब्रह्म पुराण में भी किया गया है। इस पवित्र और विशाल मंदिर में भगवान शिव को त्रिभुवनेश्वर के रूप में पूजा जाता है जिसका अर्थ है तीनों लोकों के भगवान।

Mythological Story of Lingaraj Temple Bhubaneswar in Hindi – लिंगराज मंदिर की पौराणिक कथा

भुबनेश्वर में स्तिथ प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर की  एक दिलचस्प पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है। एक दिन भगवान शिव जी ने अपनी प्यारी पत्नी पार्वती को बताया की वह बनारस से ज्यादा भुबनेश्वर शहर को क्यों ज्यादा पसंद करते हैं। यह कहानी सुनने के बाद पार्वती जी ने इस तथ्य को खोजने के लिए यात्रा आरम्भ किया और मवेशि के  रूप धारण कर के शहर की खोज में निकल गई। अपनी इस यात्रा के दौरान वह कृति और वासा नाम के दो भयंकर राक्षसों से मिली जो उनसे सादी करना चाहते थे। उन दोनों राक्षसों को लगातार मना  करने के बाद भी  राक्षसों ने पार्वती देवी की पीछा किया। पार्वती देवी ने अपनी रक्षा के लिए उन दो भयंकर राक्षसों को नष्ट केर दिया। युद्ध के बाद पार्वती देवी को प्यास लगी तब भगवान् शिव ने अबतरण किया और बिंदुसागर झील का निर्माण किया। उसके बाद भगवान् शिव ने वहां अनंत काल तक  निवास किया।

Lingaraj Temple in Hindi - ओडिशा की प्रसिद्ध मंदिर लिंगराज मंदिर:

Lingaraj Temple Architecture – लिंगराज मंदिर की वास्तुकला

लिंगराज मंदिर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और कलिंग शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। लिंगराज  मंदिर की ऊंचाई 180 फ़ीट है और मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है जो 8 फीट व्यास की है जो  ग्रेनाइट की है। मंदिर के चार विभाग है अर्थात् गर्भ गृह, जगमोहन, नटमंदिर और भोग मंडप। लीगराज को स्वयंभू कहा जाता है जिसका अर्थ है स्वयं उत्पन्न शिवलिंग। मंदिर का मुख्य आकर्षण  बिंदुसागर झील है जो मंदिर के उत्तर की ओर स्थित है। बिन्दुसारगर झील लिंगराज मंदिर से 450 मिटेर की दुरी पर स्तिथ है और इस झील के केंद्र में एक मंदिर निर्मित है जो दर्शनीय है। भुवनेश्वर में स्तिथ लिंगराज मंदिर ओडिशा के सभी मंदिरों में से विशेष आकर्षण का केंद्र है। इसे पूर्व के सर्वश्रेष्ठ पुरातात्विक स्मारकों में से एक माना जाता है जो कलिंग प्रकार के वास्तुकार को दर्शाता है।

Festival in Lingaraj Temple – लिंगराज मंदिर के त्यौहार

लिंगराज मंदिर में कई महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं जो इस मंदिर को और भी आकर्षण प्रदान करता है। इन में से शिवरात्रि, चन्दन यात्रा और रथ यात्रा सबसे लोकप्रिय त्यौहार माना जाता है।

महाशिवरात्रि : महाशिवरात्रि  फाल्गुन के महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस शुभ दिन पर हजारों भक्त लिंगराज मंदिर जाते हैं और भगवान् शिव के शरण में आते हैं, प्रार्थना करते हैं, भगवान शिव की पूजा करते हैं और पूरे दिन कठोर उपवास रखते हैं, हालाँकि कई लोग दूध और फल का आहार लेते हैं और कुछ लोग पानी के एक बून्द नहीं पीते हैं। मुख्य समारोह रात के समय शुरू होती है जहाँ सभी भक्त पुरे रात भगवान शिव की पार्थना करते हैं। भक्त महाद्वीप की रौशनी के दर्शन के बाद ही अपना उपवास तोड़ते हैं। महाशिवरात्रि भुबनेश्वर में बल्कि पुरे ओडिशा में सबसे प्रसिद्ध त्योहार है।

अशोकष्टमी : अशोकष्टमी लिंगराज मंदिर का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। लिंगराज के रथ उत्सव को हर साल अशोकष्टमी के रूप में मनाया जाता है। भगवान को रथ में रेमेश्वर देउला मंदिर में ले जाया जाता है। हजारों भक्त लिंगराज और उनकी बहन रुक्मणी की मूर्तियों वाले सजाए गए रथों को बड़े उत्साह से खींचते हैं। यह त्यौहार भुबनेश्वर  में भव्य तरीके से मनाई जाती है।

चन्दन यात्रा : चन्दन यात्रा लिंगराज मंदिर का एक मुख्य त्यौहार के रूप में माना जाता है। इस त्यौहार को चंदन समारोह भी कहा जाता है। यह त्यौहार हर साल अक्षय तृतीया के अवसर पर मनाया जाता है। चन्दन समारोह मंदिर में मनाया जाने वाला 22 दिनों का त्योहार है जिसमे मंदिर के देवता और सेवकों को  गर्मी से बचने  के लिए चंदन के लेप लगाया जाता है। यह त्यौहार भुबनेश्वर में  बड़ी धूम धाम से मनाई  जाती  है।

Important Information before Visiting Lingaraj Temple – लिंगराज मंदिर जाने से पहले कुछ महत्वपूर्ण जानकरी

  • लिंगराज मंदिर में हिन्दू धर्म लोगों के अलावा अन्य धर्म  के लोगों को प्रबेश की अनुमति नहीं है।
  • अन्य धर्म के लोगों के लिए बाहर  एक मंच बनाया गया है जहाँ से  लिंगराज मंदिर की पूरी दृश्य देखा जा सकता  है
  • लिंगराज मंदिर के भीतर जाने से पहले अपनी जूते जर्रूर बहार रखे
  • मंदिर में मोबाइल, केमेरा, चमड़े की वस्तु और पॉलीथिन सख्त मना है
  • फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी मंदिर के भीतर पूर्ण रूप से निषेध है 

Best Time to Visit Lingaraj Temple in Hindi  – लिंगराज मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय

लिंगराज मंदिर भुबनेश्वर का एक भव्य और प्रसिद्ध मंदिर होने के कारण यहाँ साल भर श्रद्धालु और पर्यटकों का भीड़ लेगा रहता है। लकिन लिंगराज मंदिर दर्शन करना का सही समय नवंबर से मार्च के बिच का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इन महीनो में यहाँ की मौसम सुहाना और सुखद रहता है। पर्यटक लिंगराज मंदिर  के आस पास कई अन्य मंदिर के दर्शन भी केर सकते हैं।

How to Reach Lingaraj Temple Bhubaneswar in Hindi- लिंगराज मंदिर कैसे पहंचे

लिंगराज मंदिर ओडिशा का  प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो भुबनेश्वर शहर  के ओल्ड टाउन में स्तिथ है। भुबनेश्वर भारत के सभी  प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुडी हुई है।  लिंगराज मंदिर भारत के किसी भी शहरों से आसानी से पहंचा जा सकता है।

वायु मार्ग : बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भुबनेश्वर शहर के केंद्र में स्थित है और कई घरेलू एयरलाइंस संचालित करता है। यह हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से लिंगराज मंदिर मात्रा 3 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टेक्सी या फिर ऑटो रिक्शा से लिंगराज मंदिर पहंचा जा सकता है।

रेल मार्ग : नजदीकी रेलवे स्टेशन भुबनेश्वर रेलवे स्टेशन है जो भारत के हर प्रमुख शहर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। भुबनेश्वर रेलवे स्टेशन से लिंगराज मंदिर 5 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है। यहाँ से टेक्सी और ऑटो रिक्शा द्वारा लिंगारज मंदिर पहंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग :  भुवनेश्वर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग 5 पर स्थित है। शहर में सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की बहुत सारी बसें उपलब्ध हैं।

All Images Credit:  Wikimedia Commons

 

 

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