Qutub Minar in Hindi: कुतुब मीनार भारत के राजधानी दिल्ली में स्तिथ एक विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक सरंचना है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। दिल्ली के महरौली में स्तिथ यह लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है। इसे 1199 ई. में दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुब-उद-दीन-ऐबक द्वारा शुरू किया गया था। यह भारत में सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को अपनी अद्भुत ऐतिहासिक आकर्षणों से आकर्षित करता है।
न केवल दिल्ली में वल्कि भारत में सबसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक मीनारों में एक कुतुब मीनार एक पांच मंजिला सरांचा है जो एक भूरे रंग की मीनार है और मुगल शासन संबंधित भारत की सबसे ऊँची मीनार भी है। इसका निर्माण कुतुब उद दीन ऐबक के शासन के दौरान शुरू हुआ था और बाद में इतुतुलमिश जैसे शासकों द्वारा इसे बाद में जोड़ा गया था। यह भारत में मुगलों द्वारा किए गए पहले निर्माणों में से एक है। अपनी कई बालकनियों और बलुआ पत्थर की वास्तुकला के साथ यह खूबसूरत मीनार भारत में मुग़ल संस्कृति का एक उत्कृष्ट प्रतिक है और मुग़ल इतिहास को करीब से देखने के लिए एक शानदार जगह है।
सभी को मेरा नमस्कार है, मुझे यकीन है आप सभी बहुत ही बढ़िया होंगे। ताजमल के बाद भारत में दूसरा सबसे अधिक देखे जाने स्मारक कुतुब मीनार जो दिल्ली में स्तिथ है और यह मुगल वास्तुकला का एक सर्वश्रेष्ठ उदहारण है। इसे भारत में सबसे उल्लेखनियों और महत्वपूर्ण सरंचनाओं में से एक माना जाता है और आज यह दुनिया के लिए एक उदहारण के रूप में खड़ा है। अगर आप भी इस ऐतिहासिक स्मारक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो mapofholiday द्वारा लिखी गयी इस लेख को शुरू से अंत तक जरूर पढ़े। उम्मीद है mapofholiday की इस लेख को आप भरपूर Share और Like करेंगे। इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद
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कुतुब मीनार का इतिहास – Qutub Minar History in Hindi
क़ुतब मीनार दुनिया का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक सरचनाओं में से एक है जिसका इतिहास काफी दिलचस्प और महत्वपूर्ण है। इतिहासकारों के अनुसार इस मीनार का नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पड़ा है। क़ुतब मीनार का निर्माण बर्ष 1199 कुतुबुद्दीन ऐबक के शासन काल के दौरान शुरू किया गया था जो दिल्ली सल्तनत के संथापक थे। उनके जीवनकाल के में मीनार की केवल पहेली मंजिल पूरी हुई थी। दिलचस्प बात यह है की पहली तीन मंजिलें इल्तुतमिश द्वारा लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई हैं जबकि अन्य दो मंजिलों का निर्माण अलग अलग समय में सम्राट फिरोज शाह तुगलक द्वारा संगमरमर और बलुआ पत्थर का उपयोग करके निर्माण किया गया था।
इस खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारक को कई प्राकृतिक आपदाओं का भरी सामना करना पड़ा। 1369 ई. में मीनार की ऊपरी मंजिल पर बिजली गिरने के कारण मीनार पूरी तरह से टूट गया। इसके बाद दिल्ली सल्तनत के शासक फिराज शाह तुगलक ने जीर्णोद्धार का कार्यभार संभाला और संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बानी मीनार में दो और मंजिलों का निर्माण किया। फिर 1505 में जब भूकंप ने इस मीनार को क्षतिग्रस्त कर दिया तो दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोधी ने फिर से मंजिलों का निर्माण किया। इसके बाद मीनार को फिर से प्रकृति के प्रकोप का सामना करना पड़ा जब 1803 में एक शक्तिशाली भूकंप ने इस मीनार को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया था। लेकिन 1928 में रोबर्ट स्मिथ द्वारा इसका निर्माण करवाया गया जो ब्रिटिश भारतीय सेना के मेजर थे।
कुतुब मीनार का किसके नाम पर रखा गया है जिसको लेकर आज भी मतभेद है। कुछ इतिहासकारों के कहना है की इस मीनार का नाम दिल्ली सल्तनत के संथापक कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया है, जबकि की कुछ इतिहासकारों का कहना है की इसका नाम प्रसिद्ध सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया है। साथ ही ऐसा भी माना जाता है की कुतुब मीनार का निर्माण उस जित का सम्मान करने के लिए किया गया था जो पुराने राजवंश पर नए राजवंश द्वारा हिसिल की गई थी। क़ुतुब मीनार के चरों ओर कई अन्य महत्वपूर्ण स्मारक स्थित हैं जो क़ुतुब परिसर के भीतर स्तिथ हैं। इतिहास में इस मीनार का काफी महत्व रहा है, इसलिए इसे बर्ष 1993 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
कुतुब मीनार की वास्तुकला – Architecture of Qutub Minar in Hindi
क़ुतुब मीनार भारत इस्लामिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है जो भारत इतिहास की सबसे बहेतरीन स्थापत्य शाले में से एक है। यह मीनार 240 फीट की कुल ऊंचाई के साथ 14.3 फीट के चौड़ी गोलाकार आधार के साथ खड़ा है। इस मीनार को सबसे बहेतरीन लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनवाया गया है। क़ुतब मीनार में 5 मंजिलें हैं और प्रत्येक मजिल में एक गोलाकार बालकनी है जिसे जटिल वास्तुशिल्प से सजाया गया है। मीनार की शीर्ष तक एक शानदार सर्पीले सीडी जाती है और इसमें 379 सीढ़ियां हैं।
मीनार की 5 अलग अलग मंजोलों में से प्रत्येक को एक बालकनी से सजाया गया है जो जटिल रूप से डिज़ाइन किया गया है। पहली तीन मंजिलों हल्के लाल बलुआ पत्थर से बानी हैं, जबकि चौथी पूरी तरह से संगमरमर से बानी है और पांचवीं संगमरमर और बलुआ पत्थर का मिश्रण से बानी है। मीनार के आसपास कई अन्य ऐतिहासिक इमारतें हैं जो मुख्य मीनार के साथ मिलकर कुतुब मीनार परिसर बनती हैं।
क़ुतुब मीनार परिसर में देखने लायक महत्वपूर्ण स्थल – Places to Visit Inside the Qutub Minar Complex
लोह स्तम्भ – Iron Pillar
लोह स्तम्भ एक अद्भुत ऐतिहासिक स्मारक है जो सभी इतिहासकारों और सैलानियों को आश्चर्यचकित कर देता है। माना जाता है की यह स्तंभ तीसरी और चौथी शताब्दी के बिच गुप्त वंश के एक राजा चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल के दौरान बनाया गया था। 7 मीटर लंबा इस स्तंभ को लोकप्रिय रूप से कीर्ति स्तंभ भी कहा जाता है जो भगवान बिष्णु को ध्वज के रूप में समर्पित है। इस स्तंभ की सबसे दिलचस्प विशेषता यह है की कई सदियों पहले से निर्मित होने के बावजूद इनमें जंग नहीं लगा है। यह एक बहुत बड़ा रहस्य है की यह स्तंभ आज तक जंग नहीं लगा है।
इल्तुतमिश का मकबरा – Tomb of Iltutmish
इल्तुतमिश का मकबरा कुतुब परिसर के भीतर उत्तर पूर्वी हिस्से में स्तिथ एक स्मारक है जो दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन स्मारकों में से एक है। इल्तुतमिश भारत में गुलाम वंश के पहले शासक कुतुब उद दीन ऐबक का दामाद था जो दिल्ली सल्तनत का दूसरा सुल्तान था। यह मकबरा वर्ष 1235 में शमशुद्दीन इल्तुतमिश द्वारा बनाया गया था जो दिल्ली में कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद के उत्तर पश्चिम में स्थित है। इल्तुतमिश के मकबरे में साल भर कई पर्यटक और इतिहास प्रेमी आते हैं और इस खूबसूरत सरचना की वास्तुकला को देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
अलाइ मीनार – Alai Minar
कुतुब मीनार परिसर के भीतर स्तिथ अलाइ मीनार एक अलग सरांचा है क्योंकि इसका निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया था। इस मीनार का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुब मीनार से ऊंची एक मीनार बनाने की परियोजना के रूप में निर्माण शुरू किया था। अलाउद्दीन खिलजी उच्च महत्वाकांक्षी शासक था और वह कुतुब मीनार के आकर का दोगुना एक मीनार बनाना चाहता था। लेकिन यह महत्वाकांक्षा अधूरी रह गई और इसका निर्माण 1316 में उनके मृत्यु के साथ समाप्त हो गया। आज अलाई मीनार 24.5 मीटर की ऊंचाई पर है और सभी दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद – Quwwat-ul-Islam Mosque
कुतुब मीनार परिसर के भीतर स्तिथ कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद एक महत्वपूर्ण ऐतिहासक सरचना है जिसका मिर्माण कुतुब-उद-दीन ऐबक ने करवाया था। यह मस्जिद खास है क्योंकि इसे दिल्ली में बनने वाली पहली मस्जिद कहा जाता है। मस्जिद को संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। हालाँकि आज यह मस्जिद खँडहर में है, लेकिन अभी भी भारत में सबसे पहले निर्मित मस्जिदों के रूप में जाना है और पुरे दुनिया में वास्तुकला के सबसे शानदार उदाहरणों में से एक माना जाता है।
कुतुब मीनार का प्रवेश शुल्क और घूमने का समय – Entry Fee and Visiting Time of Qutab Minar in Hindi
कुतुब मीनार पुरे सप्ताह सुबहे 7 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को स्मारक में कई भी प्रवेश शुल्क नहीं लगता है। प्रति भारतीय वयक्ति के लिए प्रवेश शुल्क 30 भारतीय मुद्रा है। विदेशी नागरिकों के लिए प्रति वयक्ति 500 भारतीय मुद्रा है।
कुतुब मीनार घूमने का सबसे सही समय – Best Time to Visit Qutub Minar in Hindi
क़ुतुब मीनार का यात्रा साल में किसी भी समय किया जा सकता है। लेकिन कुतुब मीनार घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम है जो अक्टूबर से मार्च के बिच है। इस मौसम के दौरान दिल्ली में ठंड पड़ती है, इसलिए यह विल्कुल सही समय है।
कुतुब मीनार कैसे पहंचे – How to Reach Qutub Minar in Hindi
कुतुब मीनार दक्षिण पश्चिम दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्तिथ है। नजदीकी मेट्रो स्टेशन कुतुब मीनार स्टेशन है। आप स्थानीय बस या फिर मेट्रो के द्वारा बड़ी आसानी से क़ुतुब मीनार तक पहंच सकते हैं। शहर की किसी भी हिस्सों से ऑटो या फिर कैब के माध्यम से भी आसानी से पहंचा जा सकता है।
FAQ
Q.1 : कुतुब मीनार कहाँ है – Kutub Minar Kahan Hai
A: कुतुब मीनार नई दिल्ली से लगभग 15 किलोमीटर दूर महरौली में स्तिथ है।
Q. 2 : कुतुब मीनार का निर्माण किसने करवाया – Who Built Qutub Minar in Hindi
A: कुतुब मीनार का निर्माण कुतुब-उद-दीन-ऐबक द्वारा 1199 में शुरू किया गया था जो दिल्ली सल्तनत के संस्थापक था।
Q. 3 : कुतुब मीनार की ऊंचाई कितनी है – What’s Height of Qutub Minar in Hindi
A: कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर या 240 फीट से अधिक है।
Q. 4 : कुतुब मीनार किसके लिए प्रसिद्ध – What is Qutub Minar Famous for in Hindi
A. : कुतुब मीनार अपनी समृद्ध विरासत और अपनी प्राचीन इतिहास के लिए देश और दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है। यह यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल भी है और पूरी दुनिया में ईंटों से बानी सबसे ऊँची मीनार भी है।
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