Tirupati Balaji Mandir: तिरुपति बालाजी और तिरुपति वेंकटेश्वर नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी का मंदिर है। वेंकटेश्वर स्वामी को विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है, यह मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति नामक शहर के करीब तिरुमाला नाम की पहाड़ी पर स्थित है। प्राकृतिक सुंदरता और पवित्रता से भरपूर तिरुपति दुनिया के सभी काने से तीर्थयात्रिओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यह भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है, क्योंकि यहां पर हर रोज करोड़ों रुपए का दाना आता है। इस मंदिर में देश-विदेश से करोड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं और सबसे ज्यादा श्रद्धालु आने वाला मंदिर भी यही है इस मंदिर में बहुत से चमत्कार होते हैं और बहुत से रहस्य से रहस्य इस मंदिर के साथ जुड़े हुए हैं जिनका हम आगे जिगर करेंगे।
इस आर्टिकल में मैं आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी हर एक जानकारी दूंगा, यहां हम इस मंदिर से जुड़े इतिहास के बारे में जानेंगे और मंदिर की वास्तुकला और यहां के गहरे रहस्यों के बारे में बात करेंगे, इस आर्टिकल में मैं आपको इस मंदिर से जुड़े सभी रोचक तथ्यों के बारे में बताऊंगा जो कि आपका जानना बहुत जरूरी है, तो आइए दोस्तों अधिक समय खराब ना करते हुए जल्दी से जल्दी आर्टिकल को शुरू करते हैं।
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तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास – History of Tirupati Balaji Temple in Hindi
दोस्तों तिरुपति बालाजी के इस मंदिर से जुड़ी इतिहास में बहुत सी कहानियां है। लेकिन इसके स्पष्ट इतिहास को लेकर बुद्धिजीवियों में मतभेद है। यह मंदिर बहुत ही पुराना है, खोजियों का आपस में मतभेद है। लेकिन इस बात को सभी मानते हैं कि पांचवी शताब्दी तक यह मंदिर एक बहुत बड़ा धार्मिक केंद्र बन चुका था।
इस मंदिर को बनाने के लिए चोल और विजयनगर जैसे महान साम्राज्य ने भी बढ़-चढ़कर सोना दान किया था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी इस मंदिर में रोज के करोड़ों रुपए दान के रुप में आते हैं और लोग अपने हीरे जवाहरात इस मंदिर में भेंट कर जाते हैं।
इस मंदिर को भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित किया गया है। माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर विष्णु भगवान के ही एक रूप है। यहां पर एक काली रंग की खड़ी अवस्था में प्रतिमा है जो कि भगवान वेंकटेश्वर की है और यह प्रतिमा खुद में ही बहुत रहस्यमई है।
दोस्तों इस मंदिर का सबसे ज्ञात इतिहास 9वी सताब्दी से शुरू होता है। 9 वीं शताब्दी में कांचीपुरम के शासक इसी स्थान पर अपना आधिपत्य जमा लिया था, उन्होंने इस मंदिर में बहुत योगदान दिया था। 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य में इस मंदिर का सबसे अधिक विकास हुआ था। अंग्रेजों के समय में 1845 से 1933 ईस्वी तक इस मंदिर का प्रबंधन हथीरामजी के हाथो में था जो इस मंदिर के प्रबंधक थे। इसके बाद मद्रास सरकार ने इस मंदिर का प्रबंधन tirumala-tirupati नाम की एक स्वतंत्र समिति के हाथों में दे दिया था। आजादी के बाद जब आंध्र प्रदेश एक राज्य के रूप में उभरा तब एक प्रशासनिक अधिकारी को इस समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया।
दोस्तों यह भव्य मंदिर तिरुमाला नाम की पहाड़ी की सातवीं चोटी पर स्थित है। इस मंदिर के किनारे पर एक बहुत खूबसूरत तालाब भी है जिसकी बहूत अधिक धार्मिक मान्यता है। यह कुछ उन गिने-चुने मंदिरों में से एक है जहां पर हर जाति और हर धर्म के लोगों का स्वागत किया जाता है। इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की बात करें, तो कहा गया है कि कलयुग में वेंकटेश्वरस्वामी के दर्शन से ही इंसान को मुक्ति मिल सकती है।
जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है उस पहाड़ी को वेंकट कहा जाता है इसीलिए इन्हें वेंकटेश्वर स्वामी कहा जाता है। यहां पर तिरुमाला में कुल 7 पहाड़ियां हैं इसलिए इन्हें सात पहाड़ियों का देवता भी कहा जाने लगा।
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तिरुपति बालाजी मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Tirupati Balaji Temple In Hindi
इस मंदिर में द्रविड़ और विजयनगर साम्राज्य की मिश्रित वास्तुकला देखने को मिलती है। यह मंदिर लगभग 26 हेक्टेयर की जगह में फैला हुआ है और इसमें बहुत से मंदिर, मंडप और अलग-अलग प्रकार के स्ट्रक्चर है। जब आप मंदिर में जाते हैं तो सर्वप्रथम महाद्वारम आता है। यह बहुत ही खूबसूरत मेहराब है और इस मेहराब में बहुत खूबसूरत नक्काशी की गई है और यह चारों तरफ से खंभों पर टिका हुआ है जो कि दिखने में बहुत ही खूबसूरत लगता है।
मुख्य मंदिर को गोपुरम कहा जाता है। यह लंबवत आकार में बना हुआ एक खूबसूरत मंदिर है जिस पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। चारों तरफ बहुत ही सुंदर सुंदर मूर्तियां बनाई गई है जो कि रंग बिरंगी और दिखने में बहुत ही खूबसूरत प्रतीत होती है। इन मूर्तियों में देवताओं के गहनों की नक्काशी बहुत ही बारीकी से की गई है। यहां पर हर एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई है कि देखने वाले देखते रह जाएं।
इस मंदिर के अंदर बहुत ही खूबसूरत गर्भग्रह है। गर्भ ग्रह ही वह जगह है जहां पर भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति रखी गई है। गर्भ ग्रह के अंदर किसी प्रकार की कोई लाइट नहीं लगाई गई है। यहां पर दीओं की रोशनी से ही उजाला होता है।
इस मंदिर के बाहर की दीवारों पर भी बहुत खूबसूरत देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है और इन पर बहुत ही बेहतरीन डिजाइन उकेरे गए हैं। यह धार्मिक रंग-बिरंगे डिजाइन देखने में बहुत ही खूबसूरत लगते हैं।
मंदिर में बहुत खूबसूरत पानी का तालाब और गार्डन भी है। मंदिर के वातावरण पर खास ध्यान दिया गया है और बहुत से बाग बगीचे और हरियाली बनाई गई है, जिससे कि यहां का मौसम बहुत सुहाना प्रतीत होता है। यहां पर जो तालाब है उसमें श्रद्धालु मुंडन करवाने के बाद स्नान करते हैं। इस मंदिर में मुंडन की प्रथा है और ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो अपने बाल दान करता है उसके सभी कार्य सफल हो जाते हैं।
तिरुपति मंदिर का समय और प्रवेश शुल्क – Tirupati Balaji Mandir Entry Fee And Timing
दोस्तों यहां पर त्योहारों के सीजन में बहुत लंबी-लंबी कतारें लगती हैं और आम दिनों में भी बहुत अधिक श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं। यहां पर औसतन 50,000 लोग रोज पूजा करते हैं। अगर आप मंदिर में पूजा करने के लिए जा रहे हैं तो आपको पहले एंट्री करवा लेनी चाहिए। यहां पर साधारण एंट्री बिल्कुल फ्री होती है यानी कि मंदिर में जाना बिल्कुल फ्री है, लेकिन अगर आप स्पेशल एंट्री करवाना चाहते हैं तो ₹300 का खर्च आता है। स्पेशल एंट्री में आपको स्पेशल टिकट मिल जाती है, जिससे कि आप मंदिर में एक अलग रास्ते से जा सकते हैं। यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है और 24 घंटे श्रद्धालु यहां पर पूजा करते रहते हैं।
अगर आप साधारण टिकट से मंदिर में प्रवेश करते हैं तो आपको 15 से 20 घंटे दर्शन के लिए लगेंगे, क्योंकि यहां पर भीड़ बहुत अधिक होती है और अगर आप स्पेशल टिकट लेते हैं तो आप लगभग 2 से 5 घंटों के अंदर दर्शन कर पाएंगे। कई बार तो भीड़-भाड़ बहुत अधिक होने के कारण लोगों को दर्शन के लिए 2 दिनों तक भी इंतजार करना पड़ जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर के रहस्य – Mysteries of Tirupati Balaji Mandir
दोस्तों यह मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है। आइए इस मंदिर के कुछ खास रहस्यों के बारे में चर्चा करते हैं, जिनमें से बहुत से रहस्यों का अब तक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा सके है।
1. यहां भगवान खुद रहते हैं
ऐसी मान्यता है कि यहां पर वेंकटेश्वर स्वामी भगवान खुद रहते हैं। इस बात के कई प्रमाण और कई तर्क दिए जाते हैं। जब आप मंदिर में जाएंगे तो यहां के शुद्ध वातावरण के कारण आपको भी यह बात महसूस होगी कि यहाँ भगवान का ही घर है।
2. बाल दान करने की प्रथा
ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी मांगा जाता है वह कार्य पूर्ण होता है। श्रद्धालु यहां पर आकर भगवान के सामने अपनी मांग रखते हैं और जब उनकी मांग पूर्ण हो जाती है तो श्रद्धालु यहां आकर अपने बाल भेंट करते हैं। यहां पर हर रोज लगभग 2000 से अधिक लोग अपने बाल भेंट करते हैं। इसे मुंडन करवाना कहा जाता है मुंडन करवाने के बाद यह सभी यहां के मशहूर तालाब में स्नान करते हैं। यहां पर रोज 2000 लोगों का मुंडन करवाना यह साबित करता है कि इस मंदिर में इतनी अधिक मनोकामना पूर्ण होती है।
3. वेंकटेश्वर स्वामी के बाल
यहां पर वेंकटेश्वरस्वामी भगवान की जो मूर्ति लगी हुई है, उस पर असली बाल माने जाते हैं। कहा जाता है कि इस मूर्ति पर जो बाल है वह सदा मुलायम बने रहते हैं और यह कभी उलझते नहीं है, जो इस बात का प्रमाण है कि यह असली बाल है।
4. मूर्ति से आती है आवाजें
श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि इस मूर्ति से एक खास तरह की ध्वनि उत्पन्न होती है। जब इस मूर्ति के पास कान लगाकर सुना जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि है की इस मूर्ति से आवाजें आ रही है। यह समंदर की लहरों की आवाज है।
5. पानी से भीगी रहती है मूर्ति
इस मूर्ति का जलाभिषेक नहीं किया जाता, लेकिन फिर भी यह मूर्ति हमेशा नम बनी रहती है। पत्थर की यह मूर्ति जमीन से थोड़ी ऊपर रखी गई है, इसलिए ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि यह जमीन से पानी सोंख रही हो, तो फिर यह मूर्ति नम कैसे बनी रहती है।
6. भगवान की छड़ी से पिटाई
जब आप मंदिर के प्रवेश द्वार के दाएं तरफ एक छड़ी देखते हैं तो यह कोई आम छड़ी नहीं है। ऐसी मान्यता है कि जब वेंकटेश्वर स्वामी भगवान बाल रूप में थे, तब उनकी इस छड़ी से पिटाई हुई थी जिससे कि उनकी ठोड़ी पर चोट लग गई थी।
7. शुक्रवार को ठुड़ी पर लेप लगाते हैं
जब बाल रूप में भगवान को छड़ी से मार पड़ी थी तो उनकी ठोड़ी पर चोट आ गई थी, इसलिए यह प्रथा है कि हर शुक्रवार को इनकी चोट पर मरहम लगाया जाता है, ताकि घाव भर सके। यह प्रक्रिया भगत की भगवान के प्रति प्रेम जाहिर करने के लिए की जाती है।
8. मंदिर की अखंड ज्योत, बिना घी बिना तेल
इस मंदिर के गर्भ गृह में जो मुख्य जोत जलाई गई है, वह सालो से बिना घी और बिना तेल के सालों से जल रही है। इसको सर्वप्रथम किसने जलाया था, इसका भी कोई ज्ञात प्रमाण नहीं है, लेकिन यह जोत आज भी इस तरह से जल रही है मानो इसके अंदर घी लबालब भरा हो।
9. स्थान बदलती मूर्ति
जब इस मूर्ति को गर्भ ग्रह के अंदर से देखा जाता है तो यह मूर्ति ग्रह के बिल्कुल बीचोबीच दिखाई देती है। लेकिन जब इसे बाहर से देखा जाता है तो यह मूर्ति दाएं तरफ दिखाई देती है, मानो यह मूर्ति स्थान बदल रही हो।
10. अटूट मूर्ति
एक खास तरह का कपूर का लेप लगाने पर कोई भी पत्थर चटक कर टूट जाता है। यह लैप इस मूर्ति पर हर दिन लगाया जाता है लेकिन यह मूर्ति अटूट मूर्ति है और कभी भी नहीं टूटती है। यह कपूर इस मूर्ति पर इस मूर्ति की ताकत और चमत्कार दिखाने के लिए लगाया जाता है।
11. ह्रदय पर लक्ष्मी
जब हर शुक्रवार को मूर्ति के वस्त्र बदले जाते हैं तो पूरी मूर्ति पर चंदन का लेप लगाया जाता है। जब भगवान की छाती पर चंदन का लेप लगाया जाता है, तो यहां पर महालक्ष्मी की मूर्ति ऊभर्ती है।
12. नीचे धोती ऊपर साड़ी
जब आप इस मंदिर में पूजा करने के लिए जाएंगे और मुख्य मूर्ति की तरफ ध्यान देंगे तो आप पाएंगे कि मूर्ति को नीचे धोती पहनाई गई है और ऊपर साड़ी पहनाई गई है, यह इसलिए किया जाता है क्योंकि माना जाता है कि इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी उनकी पत्नी पद्मावती के साथ रहते हैं, और मां पद्मावती के यहां होने को दर्शाने के लिए मूर्ति के ऊपर साड़ी पहनाई जाती है।
13. पास का गांव
यहां पास में 1 गांव स्थित है, इस गांव में बाहर के लोगों का जाना वर्जित है। इसी गांव से मंदिर में दूध और बाकी की चीजें आती है, इस गांव में कोई भी औरत सिले हुए वस्त्र धारण नहीं करती।
तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास घुमने और देखने लायक जगहें – Best Places Near Tirupati Balaji Mandir
यह मंदिर तिरुपति की मुख्य अट्रैक्शन है, इस मंदिर के अलावा भी तिरुपति में बहुत सी घूमने की जगह है, जहां पर आप जाकर इंजॉय कर सकते हैं, तो आइए दोस्तों इनमें से सात मुख्य जगहों के बारे में देख लेते हैं।
1. श्री कालहस्ती मंदिर और हाथी अभयारण्य – Sri Kalahasti Temple & Elephant Sanctuary
दोस्तों श्री कालहस्ती मंदिर और हाथी अभ्यारण तिरुपति के मुख्य मंदिर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर हाथी अभ्यारण मंदिर से जस्ट पिछली तरफ है। यहां पर आप बहुत से हाथियों को देख सकते हैं। यहां पर आपको हाथियों के छोटे बच्चों को छूने का अवसर भी मिल सकता है। कालहस्ती का यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
2. तालकोना जलप्रपात – Talakona Waterfall
यह झरना मुख्य मंदिर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वेंकटेश्वरा पार्क की सबसे मुख्य अट्रैक्शन है। यह झरना बहुत ही खूबसूरत है और इसके आसपास की जगह घूमने लायक है और अगर आप प्रकृति को देखने के शौकीन है तो आपको यहां पर जरूर आना चाहिए।
3. चंद्रगिरि किला – Chandragiri Fort
चंदन गिरी का किला तिरुपति से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक ऐतिहासिक किला है जो कि 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और विजयनगर साम्राज्य की राजधानी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। यहां पर आक्रमणकारियों से बचने के लिए बेहद उच्च निर्माण तकनीक से किले को बनाया गया है। आपको इस किले में जाकर जरूर भ्रमण करना चाहिए।
4. कैलासकोना जलप्रपात – Kailasakona Waterfalls
यह जंगलों के बिल्कुल बीचो-बीच और तिरुपति से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बहुत ही खूबसूरत झरना है और इसके आसपास की जगह हरियाली से परिपूर्ण है। यहां पर माहौल बहुत ही शांत रहता है और मेडिटेशन करने के लिए भी यह जगह बहुत अच्छी है।
5. श्री वेंकटेश्वर प्राणी उद्यान – Sri Venkateswara Zoological Park
यह पार्क मुख्य मंदिर से केवल 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर आपको अलग-अलग प्रकार के जानवर और पक्षी मिल जाएंगे। यहां पर आप कई प्रकार के रेप्टाइल सांपों को भी देख सकते हैं और पक्षियों की बेहतरीन नस्लें भी यहां पर उपलब्ध है। अगर आप जीव प्रेमी हैं तो आपको यहां पर जरूर जाना चाहिए।
6. हार्स्ली हिल्स – Horsley Hills
यह पहाड़ियां तिरुपति की पहाड़ियों से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पहाड़ी के ऊपर से आसपास का दृश्य बहुत ही खूबसूरत दिखता है। आप यहां पर ट्रैकिंग जैसी एक्टिविटी भी कर सकते हैं।
7. कल्याणी बांध – Kalyani Dam
स्वर्णामुखी नदी के ऊपर बनाई गई कल्याणी बांध बहुत ही खूबसूरत है बांध है। यह तिरुपति शहर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बहुत ही खूबसूरत दृश्य देती है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में भोजन की व्यवस्था – Food arrangements at Tirupati Balaji Mandir
दोस्तों अगर आप तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको यहां पर भोजन की उचित व्यवस्था मिलेगी। यहां पर आपको जगह-जगह अन्नप्रसादम ग्रह मिल जाएंगे। यहां पर आपको प्रसाद के रूप में बहुत लजीज भोजन मिलता है। यहां पर दुनिया की सबसे बड़ी कड़ाही है, क्योंकि रोज 50,000 लोग भोजन करते हैं। यहां पर पारंपरिक मद्रासी तरीके से भोजन करवाया जाता है। आपको एक कतार में बिठाकर आपके आगे केले के पत्ते रख दिए जाते हैं, जिसके ऊपर चावल खिचड़ी, मीठे चावल जैसे शुद्ध भजन रखे हुए होते हैं। मंदिर में आपको शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है और भोजन की जगह बहुत साफ-सुथरी रहती है। यहां पर अन्नप्रसादम ग्रह बहुत से हैं आप किसी में भी भोजन कर सकते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में रुकने की जगह – Where to Stay at Tirupati Balaji Mandir
दोस्तों अगर आप तिरुपति बालाजी में दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको रुकने की जगह के लिए बिल्कुल भी फिक्र नहीं करनी चाहिए। यहां पर आसपास बहुत सी धर्मशालाएं हैं और आराम करने की बहुत सी जगह है, जहां पर आपको ₹50 से कम में एक रात के लिए कमरा आसानी से मिल जाएगा। ध्यान रखिए कि रुकने की जगह के लिए आप पहले से ही बुकिंग कर लीजिए। यहां पर मंदिर के आस पास बहुत से लग्जरी होटल है जोकि एसी वाला कमरा हजार रुपए एक रात और बिना एसी वाला कमरा ₹200 एक रात में दे देते हैं। लेकिन उनके लिए पहले से बुकिंग होना अनिवार्य है।
यहां पर श्रद्धालु बहुत अधिक आते हैं और भीड़-भाड़ बहुत अधिक होती है जिससे की ज्यादातर धार्मिक जगहों पर सभी कमरे बुक हो जाते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए मंदिर समिति ने यहां पर अलग-अलग प्रकार के भवन बना रखे हैं, जिनमें आप रुक सकते हैं। यहां पर आपको बिस्तर और बेड मिलता है। अगर यह भवन भी पूरा भर जाता है तो कुछ भवन ऐसे हैं जिनमें जमीन पर सोने के लिए बड़े-बड़े हॉल है। यहां पर आपको एक चद्दर दे दी जाती है, ताकि आप सो सके।
अगर आप तिरुपति बालाजी में दर्शन के लिए जा रहे है, तो रुकने की जगह होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि मंदिर में दर्शन के लिए आपको लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर कैसे पहंचे – How to Reach Tirupati Balaji Mandir in Hindi
1. सड़क मार्ग से तिरुपति बालाजी मंदिर कैसे जाएं? – How To Reach Tirupati Balaji Mandir By Road?
नेशनल हाईवे नंबर 71 तिरुपति से होते हुए निकलता है, आप इस हाइवे की सहायता से पूरे देश से कहीं से भी तिरुपति में आ सकते हैं। तिरुपति बालाजी का मंदिर जोकि तिरुपति का मुख्य मंदिर है और यह शहर से दूर पहाड़ियों में स्थित है। यह पहाड़ियां तिरुमाला नाम से जानी जाती है और शहर से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
2. ट्रेन से तिरुपति बालाजी मंदिर कैसे जाएं? – How To Reach Tirupati Balaji Mandir By Train?
तिरुपति रेलवे स्टेशन मंदिर के सबसे करीब स्थित रेलवे स्टेशन है। यह यहां से केवल 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह देश के बाकी स्थलों से बहुत अच्छे से कनेक्ट है और आप कहीं से भी ट्रेन लेकर तिरुपति में आ सकते हैं।
3. हवाई जहाज से तिरुपति बालाजी मंदिर कैसे जाएं? – How To Reach Tirupati Balaji Mandir By Flight?
अगर आप हवाई जहाज से तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो आपको बता दूं कि यहां का सबसे करीबी हवाई अड्डा मंदिर से केवल 15 किलोमीटर दूर स्थित है, यह तिरुपति शहर में स्थित हवाई अड्डा है जो कि देश के बाकी शहरों के साथ में बहुत अच्छे से कनेक्ट है और दिल्ली मुंबई कोलकाता रूट से यहां पर फ्लाइट लगातार आती रहती हैं।
Tirupati Balaji Mandir Conclusion:
दोनों कैसा लगा आपको आपको यह आर्टिकल, आशा करूंगा कि आपको जानकारी पसंद आई होगी, इस आर्टिकल में हमने तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में पूरी जानकारी ली है, साथ ही साथ हमने मंदिर से जुड़े रहस्यों को देखा और आसपास के घूमने के स्थलों के बारे में जाना है, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो इसे अपने साथियों के साथ साझा करना बिल्कुल भी ना भूलें, मिलते है किसी नई जानकारी के साथ।
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